लखनऊ: यूपी चुनाव में दूसरे दौर का दंगल आखिरी पड़ाव पर हैं. दूसरे चरण का सियासी रण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से लेकर रुहेलखंड के तराई इलाकों से होकर गुजरता है. खेती के लिहाज से सपन्न इस इलाके में वोटों की फसल उगाने के लिए नेताओं ने खूब जोर आजमाइश की. अब बारी जनता की है. चंद घंटों बाद दूसरे चरण के तहत 11 जिलों की 67 सीटों पर करीब 2 करोड़ 28 लाख मतदाता 721 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे. इस दौर भी में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है.


रामपुर का रण


जिन 11 जिलों दूसरे चरण का मतदान होना है उनके बीचो-बीच में पड़ता है रामपुर जिला और यहीं से चुनाव लड़ रहा है दूसरे चरण का सबसे बड़ा दिग्गज. बात अखिलेश के कद्दावर मंत्री आमज खान की हो रही है, आजम रामपुर सीट से चुनावी रण में हैं. आपको बता दें कि आजम खान रामपुर सीट से ही 8 बार विधायक रह चुके हैं.


इस सीट पर चुनाव जीत नहीं सका है कोई भी हिंदू प्रत्याशी


आजम 1980 में पहली बार यहां से विधायक बने थे. लगातार 5 जीत के बाद कांग्रेस के अफरोज अली खान ने 1996 में आजम विजय रथ रोक दिया था, लेकिन 2002 से लगातार रामपुर सीट पर आजम का कब्जा है. इस बार भी आजम की जीत लगभग तय मानी जा रही है, उनके खिलाफ बीजेपी के शिव बहादुर सक्सेना चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन रामपुर का इतिहास रहा है कि आजादी के बाद से आज तक इस सीट पर कोई भी हिंदू प्रत्याशी चुनाव जीत नहीं सका है.


स्वार सीट से आजम के शहजादे


स्वार सीट को नवाबों का दुर्ग माना जाता है, यहां से नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां अलग-अलग पार्टियों लगातार 4 बार से विधायक हैं. नवेद मियां पिछली बार कांग्रेस से जीते थे तो इस बार वह बीएसपी से ताल ठोंक रहे हैं. नवाब के खानदान से आजम खान का छत्तीस का आंकड़ा रहा है और नवाबों के इस आखिरी दुर्ग को ढहाने के लिए आजम ने अपने सिविल इंजीनियर बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को मैदान में उतारा है. अब्दुल्लाह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन अपने अब्बा के नाम पर जीत का दंभ भी भरते हैं. वहीं दोनों प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मतों के बंटवारे के भरोसे पर बीजेपी की लक्ष्मी सैनी मैदान में उतरी हैं.


तिलहर का तिलिस्म


शाहजहांपुर जिले की तिलहर सीट का अपना अलग ही तिलिस्म है, यहां कभी कांग्रेस, तो कभी एसपी, तो कभी बीएसपी जीतती रही है. इस बार यहां से यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके जितिन प्रसाद चुनाव मैदान में हैं और यही वजह है कि ये सीट एसपी-कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है.


जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से दो बार सांसद रह चुके हैं. जानकार केंद्र से राज्य में वापसी को जितिन प्रसाद का डिमोशन मानते हैं लेकिन जितिन इसे अपनी घर वापसी बताते हैं. जितिन की यहां सीधी टक्कर बीजेपी के रोशन लाल वर्मा से है. वो पिछली बार बीएसपी के टिकट पर जीतकर यहां से विधायक बने थे लेकिन इस बार वह हाथी से उतरकर तिलहर में कमल खिलाने में लगे हैं.


नकुड़ सीट पर दिलचस्प लड़ाई


सहारनपुर की नकुड़ सीट से कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और फायर ब्रांड नेता इमरान मसूद मैदान में हैं. इमरान को पिछली बार यहां से करीब 84 हजार वोट मिले थे. उन्हें बीएसपी के धरम सिंह सैनी ने हराया था. सैनी इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, यहां दोनों में टक्कर अच्छी है लेकिन एसपी-कांग्रेस गठबंधन के बाद इस सीट पर इमरान मसूद की बढ़त मानी जा रही है. इमरान वही नेता हैं जिन्होंने पीएम मोदी पर बोटी-बोटी वाला विवादित बयान दिया था.


अमरोहा के नौगवां में मुकाबला त्रिकोणीय


क्रिकेट की पिच पर लंबे-लंबे छक्के-चौके लगाने वाले पूर्व क्रिकेट चेतन चौहान अब सियासत की पिच पर बैंटिग की शुरुआत कर रहे हैं. चेतन चौहान बीजेपी के टिकट पर अमरोहा की नौगवां सादात सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, पिछली बार यहां से समाजवादी पार्टी से अशफाक अली खान ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार एसपी से टिकट कट गया तो अशफाक ने अजीत सिंह की आरएलडी के हैंडपंप का हैंडल थाम लिया. एसपी ने जावेद अब्बास को चेतन चौहान के खिलाफ उतारा है, जिसके चलते नौगवां में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.


बीजेपी के प्रतिष्ठा की सीट शाहजहांपुर


शाहजहांपुर सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, सरकारें आईं और गईं लेकिन पिछले 36 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, यहां से बीजेपी के विधानमंडल के नेता सुरेश खन्ना लगातार 7 बार से जीतते आ रहे हैं. लेकिन इस बार उन्हें एसपी के तनवीर खान और बीएसपी के मोहम्मद असलम खान से कड़ी टक्कर मिल रही है.


दांव पर अखिलेश के मंत्रियों की साख


अब बात अखिलेश के मंत्रियों की करते हैं. जिन 67 सीटों पर चुनाव होना है, वहां से एसपी के कई कद्दावर मंत्री भी मैदान में हैं, कई मंत्रियों की अपने इलाके अच्छी पकड़ है लेकिन कुछ मंत्रियों के लिए इस बार वोट मांगना भी मुश्किल हो गया है.


अमरोहा की जंग
पाकिजा जैसी यादगार फिल्म बनाने वाले कमाल अमरोही के शहर अमरोहा में इस बार सियासी लड़ाई खासी दिलचस्प है. पिछली बार यहां की सभी 4 सीटों पर एसपी को जीत मिली थी लेकिन इस बार लड़ाई बेहद मुश्किल है. अमरोहा शहर सीट से खुद सूबे के वस्त्र उद्योग मंत्री महबूब अली को बीजेपी के कुनवर सैनी से कड़ी टक्कर मिल रही है. बीएसपी से यहां नौशाद अली और आरएलडी से सलीम खान के खड़े होने से मुस्लिम मतों का विभाजन तय माना जा रहा है, वहीं पिछले दिनों स्थानीय गैंगस्टर की हत्या के बाद यहां के लोग मंत्री महबूब अली से खासे नाराज हैं.


अमरोहा की हसनपुर सीट से खाद्य और रसद मंत्री कमाल अख्तर की प्रतिष्ठा दांव पर है, उन्हें बीजेपी के महेंद्र सिंह खड़गवंशी कांटे की टक्कर दे रहे हैं. वहीं पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे बीएसपी के गंगाशरण ने यहां की लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है.


संभल में चलेगी साइकिल ?


पिछले चुनाव में संभल की जनता ने समाजवादी पार्टी को हाथों-हाथ लिया था और जिले की 4 में तीन सीटें एसपी की झोली में डाल दी थी. संभल से सूबे के खाद्य और औषधि मंत्री इकबाल महमूद पर भी अपनी सीट बचाने की चुनौती है, ताजा समीकरणों के मुताबिक बीएसपी के रफतउल्ला उन्हें अच्छी टक्कर दे रहे हैं.


बिजनौर की जंग


बिजनौर की धामपुर सीट से उद्यान मंत्री मूलचंद चौहान की राह इस बार बेहद मुश्किल दिख रही है, 2012 में उनसे महज 500 वोटों से हारने वाले बीएसपी के अशोक कुमार राणा इस बार बीजेपी से चुनाव मैदान में हैं. यहां लड़ाई बेहद दिलचस्प है. इस सीट पर मंत्री मूलचंद को सीएम अखिलेश के काम का भरोसा है तो वहीं अशोक राणा पीएम मोदी के चेहरे पर दंभ भर रहे हैं.


पीलीभीत में दांव पर मंत्री की प्रतिष्ठा


अखिलेश सरकार में मत्स्य विभाग के मंत्री रियाज अहमद पीलीभीत सीट से मैदान में हैं, वो यहां लगातार तीन बार से जीतते आए हैं, लेकिन उनके चौथी विधानसभा पहुंचने के आड़े बीएसपी के अरशद खान और बीजेपी के संजय सिंह गंगवार खड़े हैं. यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय है.


ददरौल में साइकिल की प्रतिष्ठा का सवाल


शाहजहांपुर की ददरौल सीट से अखिलेश सरकार में पिछड़ा कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं, पिछली बार वह बीएसपी के रिजवान अली से करीब 5 हजार वोटों से जीते थे लेकिन इस बार रिजवान उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं.