लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ के बीजेपी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने का फैसला किया है. राजेन्द्र अग्रवाल के अलावा सरकार जिन बीजेपी नेताओं के केस वापस ले रही है, उनमें बीजेपी के पूर्व विधायक अमित अग्रवाल और बीजेपी संगठन के कई नेता भी शामिल है. सरकार ने जिला प्रशासन, पुलिस और जिला शासकीय अधिवक्ता से 12 बिन्दुओं पर रिपोर्ट मांगी है.
साल 2006 से 2013 के बीच बीएसपी और समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान जिन बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुकदमों दर्ज किए गए थे सरकार उन्हें वापस लेने की तैयारी कर रही है. बीजेपी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल के खिलाफ मेरठ के थाना नौचंदी में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था. बीजेपी नेता और पूर्व विधायक अमित अग्रवाल के खिलाफ सिविल लाइंस थाना में दो केस दर्ज हैं, जिनमें एक वन्य जीव अधिनियम की धाराओं में है. बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ के नेता विनीत शारदा के खिलाफ दर्ज दो मुकदमें भी सरकार वापस लेना चाहती है.
बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय त्यागी के खिलाफ मेडीकल थाने में दर्ज केस सरकार वापस ले सकती है. इसी तरह भाजयुमो नेता आशीष प्रताप सिंह पर दर्ज दो मुकदमें, विवेक रस्तोगी के खिलाफ दर्ज एक केस, अजीत चौहान गुल्लू पंडित और विपिन गोयल के खिलाफ दर्ज एक-एक केस वापस लेने के लिए प्रदेश के गृह विभाग से जिला प्रशासन को चिठ्ठी मिली है. सूत्रों के मुताबिक अगले चरण में पार्टी के छोटे नेता और कार्यकर्ताओं के केस वापसी की प्रक्रिया भी शुरू होगी.
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बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा ने बताया कि जो केस उनके खिलाफ पिछली सरकारों ने दर्ज किये वह राजनीतिक द्वेश की वजह से थे. प्रदेश सरकार ने केस वापसी की प्रक्रिया शुरू की है, हम मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करते है. जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने बताया कि राज्य सरकार से ऐसे मामले में सामान्यत: रिपोर्ट मांगी जाती है. शासन से आई चिठ्ठी को संबधित अधिकारियों को प्रेषित कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है. जो कानून के अनुसार नियम संगत होगा, रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जायेगी.
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