लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक बार फिर यूपी के सोनभद्र का दौरा करने जा रही हैं. ये कोई पार्टी का कार्यक्रम नहीं बल्कि उसी उम्भा गांव का दौरा होगा जिस उम्भा गांव में ज़मीनी विवाद में नरसंहार हुआ था. प्रियंका गांधी 13 अगस्त को सोनभद्र के उम्भा गांव में मृतकों के परिजनों से मिलने के अलावा घायलों से मुलाक़ात करेंगी. बताया जा रहा है कि प्रियंका के साथ इस दौरान पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी उम्भा पहुचेंगे.


नरसंहार के बाद प्रियंका ने क्या किया था


सोनभद्र के उम्भा गांव में ज़मीनी विवाद में हुई गोलीबारी की घटना के बाद 19 जुलाई को प्रियंका गांधी अचानक वाराणसी पहुंचीं और वहां सबसे पहले बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मिलने गईं. इसके बाद वो उम्भा गांव जाने के लिए निकलीं लेकिन उनके दौरे से पहले प्रशासन ने ज़िले में निषेधाज्ञा यानी धारा 144 लगा दी. प्रियंका सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहीं थी, लेकिन तभी प्रशासन ने उन्हें वाराणसी-सोनभद्र के बीच स्थिति नारायणपुर पुलिस चौकी के पास रोक दिया. कांग्रेस को इसी से सोनभद्र की घटना को मुद्दा बनाने का मौका मिला और प्रियंका प्रशासन के खिलाफ़ विरोध में धरने पर बैठ गईं. क़रीब 24 घंटे तक धरना चलने के बाद प्रशासन ने पीड़ित परिवारों के कई सदस्यों ने चुनार गेस्ट हाउस भेजकर प्रियंका गांधी से उनकी मुलाक़ात कराई और तब जाकर धरना ख़त्म हुआ.


कांग्रेस ने पीड़ितों की आर्थिक मदद भी की


प्रियंका गांधी ने अपना धरना ख़त्म करने के साथ घोषणा की कि पार्टी की तरफ से नरसंहार के पीड़ित परिवारों की आर्थिक सहायता दी जाएगी. प्रियंका की घोषणा के मुताबिक़ नरसंहार में मारे गए लोगों को कांग्रेस पार्टी की ओर से 10-10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई. इसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने सोनभद्र जाकर पीड़ित परिवारों के लोगों को आर्थिक मदद के तौर पर चेक दिए थे.


यूपी में ज़मीन तलाश रही कांग्रेस
यूपी में चौथे नम्बर की पार्टी बन चुकी कांग्रेस अब वापस अपनी स्थिति मजबूत करने की भरपूर कोशिश में लगी है. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 7 सीटों पर सिमटकर रह गई. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रियंका गांधी पहली बार सक्रिय राजनीति में आईं तो ऐसा लगा जैसे मृतप्राय पड़ी कांग्रेस ने नई जान आने वाली है. महासचिव के साथ साथ पूरी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी लेकर प्रियंका गांधी मैदान में उतरीं और लगातार मोदी और योगी पर हमलावर दिखीं. लेकिन प्रियंका के तेवर का आम जनता पर कुछ ख़ास असर नहीं हुआ और नतीजा यह हुआ कि 80 में से कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट हासिल हुई. ये सीट बचाने में भी पार्टी की वर्तमान अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ही सफ़ल हुईं. हालात ऐसे बिगड़े की ख़ुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक अमेठी सीट गंवा बैठे.


यूपी के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस


कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की नज़र 2022 के विधानसभा चुनावों पर है. चुनाव होने में अभी क़रीब ढाई साल का समय है जिसमें कांग्रेस को ख़ुद को लड़ने की स्थिति में दिखाने के लिए बहुत कुछ करना है. शायद यही वजह है कि प्रियंका गांधी यूपी से जुड़े मुद्दों पर लगातार सक्रिय दिखाई देती हैं. बुलंदशहर हो, सोनभद्र हो या फिर उन्नाव मामला, हर अपराध की ख़बर पर प्रियंका गांधी ट्विटर से लेकर ज़मीन तक संघर्ष करती दिखाई देना चाहती हैं. शायद प्रियंका गांधी को लगता है कि अपराध एक ऐसा मुद्दा है जिसको आधार बनाकर वो योगी सरकार के प्रति जनता में ग़ुस्सा पैदा कर सकती हैं.


प्रियंका गांधी शायद जानती हैं कि कांग्रेस यूपी में अपना सभी वोट बैंक गंवा चुकी है. सवर्ण हों, पिछड़े हों, दलित हों या मुसलमान, सभी अलग अलग दलों के साथ दिखाई देते हैं लेकिन कांग्रेस का वोट बैंक अब कौन है, शायद इसका जवाब कांग्रेस के लोगों के पास भी नहीं. इसी बीच बीजेपी जिस तरह मज़बूती से चुनाव में लड़ रही है, उसमें अन्य दलों के वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी पहले ही हो चुकी है. ऐसे में प्रियंका गांधी अपराध और विकास के नाम पर लोगों में भरोसा पैदा करना चाहती हैं कि बीजेपी सरकार को टक्कर कांग्रेस ही दे सकती है.


शायद इसीलिए 3 हफ़्ते बाद एक बार फिर सोनभद्र जाकर प्रियंका अपराध के मुद्दे को जीवित रखने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि ये कितना कारगर साबित होगा, ये फ़िलहाल नहीं कहा जा सकता लेकिन प्रियंका की सक्रियता से कम से कम निष्क्रिय हुए पार्टी कार्यकर्ताओं में विपक्ष की भूमिका में आकर जूझने का हौसला पैदा हो, इसकी कोशिश प्रियंका कर रही हैं.


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