यूपी: हार के बाद कटे कटे से रहने लगे थे अखिलेश यादव, आज़मगढ़ में करेंगे रैली और रोड शो
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की दुर्गति के बाद से ही अखिलेश यादव मौन हैं. वे कहीं जाते आते नहीं हैं. न ही हार की समीक्षा के लिए ही उन्होंने कोई बैठक बुलाई. लखनऊ में पार्टी के दफ़्तर वे ज़रूर कई बार आए. जो नेता मिलने आए, उनसे दो बातें भी कर लीं.
लखनऊ: चुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव ने अब बाहर निकलने का फैसला किया है. इसकी शुरूआत वे अपने संसदीय क्षेत्र आज़मगढ़ से कर रहे हैं. जहां आज 3 जून को वे आभार रैली कर रहे हैं. वे आज़मगढ़ की जनता से मन की बात करेंगे. मोदी लहर में भी यहां की पब्लिक ने उन्हें अपना सांसद बनाया. रैली के बाद उनकी तैयारी शहर में छोटा सा रोड शो भी करने की है.
अगले दिन यानी 4 जून को अखिलेश यादव ग़ाज़ीपुर जायेंगे. जहां समाजवादी पार्टी के नेता पप्पू यादव के परिवार से मुलाक़ात करेंगे. चुनाव के बाद पप्पू के घर में घुस कर उनकी हत्या कर दी गई थी. वे ज़िला पंचायत के सदस्य थे. ग़ाज़ीपुर से बीएसपी के सांसद अफ़जाल अंसारी ने इस हत्या कांड के विरोध में धरना भी दिया था.
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की दुर्गति के बाद से ही अखिलेश यादव मौन हैं. वे कहीं जाते आते नहीं हैं. न ही हार की समीक्षा के लिए ही उन्होंने कोई बैठक बुलाई. लखनऊ में पार्टी के दफ़्तर वे ज़रूर कई बार आए. जो नेता मिलने आए, उनसे दो बातें भी कर लीं. अपनी कोर टीम के कुछ सदस्यों के साथ अखिलेश यादव ने हार पर चर्चा भी कर ली. लेकिन इन दिनों वे कटे कटे से रहते हैं. उनकी सहयोगी पार्टी बीएसपी ने अपने संसदीय दल के नेता और उप नेता का चुनाव भी कर लिया. लेकिन अखिलेश यादव ने के अब तक अपनी पार्टी के सांसदों की मीटिंग तक नहीं बुलाई है.
बीएसपी से गठबंधन के बावजूद क़िस्मत ने अखिलेश यादव को धोखा दे दिया. मायावती की पार्टी पिछली बार चुनाव में खाता नहीं खोल पाई थी. इस बार तो बीएसपी के दस एमपी चुने गए हैं. लेकिन अखिलेश यादव तो अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी हार से नहीं बचा पाए. उनके दो चचेरे भाई धर्मेन्द्र और अक्षय यादव भी चुनाव हार गए. दोनों पहले लोकसभा के सांसद थे. पिछले चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के 5 एमपी थे और इस बार भी इतने ही लोग जीते.
आज़मगढ़ में अपने वोटरों के बीच अखिलेश यादव क्या कहेंगे? समाजवादी पार्टी के साथ साथ यूपी की जनता भी जानना चाहती है. हार से पार्टी के कार्यकर्ता हैरान और परेशान हैं. गठबंधन से सबने बड़ी आस लगा रखी थी, लेकिन अब सब माथा पीट रहे हैं.