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एएमयू में आरक्षण पर बढ़ रहा है घमासान: अब यूपी SC-ST आयोग ने भेजा नोटिस
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में दलितों एवं पिछड़ों को आरक्षण न देने के खिलाफ एक नोटिस जारी कर महीने भर में जवाब मांगा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में दलितों एवं पिछड़ों को आरक्षण न देने के खिलाफ एक नोटिस जारी कर महीने भर में जवाब मांगा है.
बृजलाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर दिया गया है. अगर जवाब जल्द नहीं मिला तो आगे की कार्रवाई भी की जाएगी.
उन्होंने बताया कि इस नोटिस में उच्च न्यायालय का भी हवाला दिया गया है कि जब अदालत ही उसे मुस्लिम विश्वविद्यालय नहीं मानता, तो आखिर किस आधार पर दलितों और पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है.
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बृजलाल ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के समय इसमें मुस्लिम व गैर मुस्लिम, दोनों ने ही अनुदान दिया. 1990 में मुसलमानों को विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था की गई थी.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा दलितों को आरक्षण न देने पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. जहां एक और विपक्ष इसे बीजेपी की साजिश बता रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी इस पर हमलावर होती दिख रही है.
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यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के दावे का समर्थन किया था. नरेन्द्र मोदी सरकार ने इसके ठीक उलटा रुख अपनाते हुए एक हलफनामा दाखिल कर एएमयू के दावे को निरस्त कर दिया है.
रुकवा दूंगा सरकारी मदद: कठेरिया
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने एएमयू को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह अपने यहां साढ़े 22 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने की आयोग की सिफारिश का अनुपालन नहीं करता है तो वह इस संस्थान को मिलने वाली सरकारी मदद रुकवा देंगे.
योगी आदित्यनाथ ने उठाया था सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में एएमयू और जामिया मिलिया इस्लामिया में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिये आरक्षण की व्यवस्था नहीं होने पर सवाल उठाए थे. उसके बाद इस मामले ने तेजी अख्तियार कर ली. अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू कुलपति को इस सिलसिले में कल एक खत भी लिखा था.
ये कहा एएमयू के कुलपति ने
एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने बताया कि एएमयू संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुरूप कार्य करता है, जिसमें धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थान खोलने और उन्हें संचालित करने की इजाजत दी गई है. उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू प्रशासन से साफ तौर पर कहा है कि वह एएमयू संशोधन कानून-1981 के तहत अपना कामकाज जारी रखे. एएमयू तब तक इसके अन्तर्गत कार्य कर सकता है, जब तक अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता.
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अवधेश कुमार, राजनीतिक विश्लेषकJournalist
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