नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही राम मंदिर एक बार फिर से चर्चा में है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के सभी 18 नवनिर्वाचित सांसदों के साथ 15 जून को अयोध्या जाएंगे. वहां जाकर वो रामलला के दर्शन करेंगे. इसके साथ ही शिवसेना केंद्र सरकार पर राम मंदिर के लिए कानून लाने का दबाव भी बनाएगी.


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग करती आई शिवसेना ने कहा था कि इस मामले को कश्मीर मुद्दे की तरह जटिल नहीं बनने देना चाहिए, जिसके समाधान का अब भी इंतजार है. अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा था, ''राम मंदिर का निर्माण उतना जटिल नहीं बनने देना चाहिए जितना जम्मू-कश्मीर है, जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान नजर नहीं आ रहा.'' बीजेपी को मंदिर निर्माण रुकवाने के लिये कांग्रेस पर उंगली नहीं उठानी चाहिए.''


पिछले साल नवंबर में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य ठाकरे के साथ भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या पहुंचे थे. वहां रामलला के दर्शन कर राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास को मंदिर निर्माण के लिए चांदी की ईंट भेंट की थी.


उद्धव ठाकरे 25 नवंबर को विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में शामिल हुए थे. ठाकरे ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि वह राम मंदिर का श्रेय लेने नहीं, मंदिर निर्माण की तारीख जानने आए हैं. कुंभकर्णी निद्रा में सो रही सरकार को जगाने आए हैं.


बता दें कि शिवसेना राममंदिर के मुद्दे पर अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी पर हमलावर रही है और राम मंदिर के बीजेपी के वादे को जुमला बता चुकी है. अयोध्या में शिवसेना सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि राम मंदिर पर चूके तो 2019 में सत्ता से चूक जाओगे.