नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियां एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में लगी हैं. एक तरफ कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रयंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में जोरदार दस्तक दी है तो वहीं एसपी-बीएसपी पार्टियां गठबंधन कर सबको मात देने की तैयारी में हैं. इसी पेशोपेश में एक नई खबर सामने आई है. वो ये कि समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने अखिलेश यादव से रायबरेली और अमेठी से भी चुनाव लड़वाने की मांग की है. एसपी-बीएसपी गठबंधन ने दोनों सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं. गठबंधन के नेता कांग्रेस से समझौते की कथित ख़बर से नाराज़ हैं.


रामगोपाल यादव ने कांग्रेस को दी थी चुनौती


हाल ही में रामगोपाल यादव ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा था, ''अगर हमें लगा कि कांग्रेस एसपी-बीएसपी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है तो हम रायबरेली और अमेठी सीट पर भी उम्मीदवार उतार देंगे. उन्होंने कहा कि मैं चुनौती दे रहा हूं."


सीटों के बंटवारे ने बिगाड़ दिया है गणित
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के साथ उतर रही है, बसपा 38 जबकि सपा 37 सीटों पर ताल ठोक रही है. लेकिन सीट शेयरिंग के बाद कई नेताओं के चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फिर गया है. पांच साल तक चुनाव लड़ने की तैयारी करने के बाद अब उनका पत्ता कट रहा है. इसको ऐसे समझते हैं की अगर 38 सीटों पर बसपा लड़ रही है तो 42 सीट पर तैयारी कर रहे बसपाई अब क्या करेगें. इसी तरह अखिलेश की पार्टी जिन 43 सीट पर नहीं लड़ रही है, ऐसे सपा के चुनाव लड़ने की हसरत रखने वाले नेता अब क्या करेगें और अगर वो विद्रोही हुए तो गठबंधन की मुसीबत बढ़ सकती है.


सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
20 सालों तक पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाली 47 साल की प्रियंका गांधी ने 2019 चुनाव से ठीक पहले राजनीति में कदम रखा है. कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाए जाने के बाद एक्शन मोड में हैं.प्रियंका के राजनीति में आने से न सिर्फ कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है बल्कि कांग्रेस का सियासी पारा भी बढ़ गया है. कांग्रेस ने एलान किया है की सभी 80 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बंटवारा प्रदेश के दोनों प्रभारियों के बीच कर दिया. यूपी ईस्ट प्रभारी प्रियंका गांधी को 41 लोकसभा सीटों और यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या को 39 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है.


भाजपा के विजय रथ को रोकने की जुगत में सपा-बसपा गंठबंधन
कहावत है कि दिल्‍ली की सत्‍ता का रास्‍ता यूपी से होकर जाता है. यही वजह है कि सपा और बसपा ने गठबंधन कर भाजपा को हराने का मन बना लिया. लेकिन, गठबंधन में सीटों के बंटवारे की गुणा-गणित में शीर्ष नेतृत्‍व फेल होता नजर आ रहा है. सपा-बसपा गंठबंधन के दोनों मुखिया को पूरा विश्‍वास है कि वे भाजपा के विजय रथ को गठबंधन के चक्रव्‍यूह में फंसाकर पटखनी दे देंगे.