लखनऊ: सिपाही भर्ती परीक्षा में धांधली करने वालों की गिरफ्तारियों का दौर जारी है. एसटीएफ़ ने मेरठ से 22 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें 8 साल्वर हैं. अलीगढ़ पुलिस ने आंसर शीट तैयार करने वाले गिरोह के 9 अभियुक्तों को पकड़ा है. यह लोग यूपी पुलिस की परीक्षा में आंसर शीट तैयार कर बदलते थे. पुलिस ये जानने कोशिश कर रही है कि इन लोगों ने आंसर शीट तैयार करके किन-किन लोगों को दिए थे और यह भी पता लगा रही है कि यह आंसर शीट फर्जी थी या असली और अगर असली थी तो यह पेपर कहां से आउट हुआ. यह लोग हर कैंडिडेट 200000 रुपए तक लिया करते थे.पुलिस भर्ती परीक्षा का आज दूसरा दिन है और इसी के साथ यूपी के हाथरस जिले में दूसरों की जगह परीक्षा देने पहुंचे दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


गिरफ्तारियों के आकड़े


मेरठ से 22


अलीगढ़ 9


हाथरस 2


इलाहाबाद गोरखपुर- 19





बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) पैसा लेकर कांस्टेबल बनाने की गारंटी देने वाले 19 जालसाज को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. उनके पास से हाईटेक उपकरण बरामद हुए हैं. दो दिवसीय परीक्षा उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड करा रहा है. कांस्टेबल के 41 हजार 520 पदों को भरने के लिए परीक्षा 56 जिलों के 860 भर्ती केन्द्रों पर यह संचालित हो रही है.


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एसटीएफ के महानिरीक्षक अमिताभ यश ने बताया कि गोरखपुर से 11 और इलाहाबाद से पांच लोग पकड़े गए हैं. इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी ने जानकारी दी कि इलाहाबाद में तीन और लोग गिरफ्तार किए गए हैं. उनके पास से जासूसी माइक (स्पाई माइक) और कान में लगाया जाने वाला एक छोटा उपकरण बरामद किया गया है.


नकल माफिया पर लगाम कसने के लिए सरकार एसटीएफ और स्थानीय खुफिया एजेंसियों की मदद से यूपी बोर्ड की परीक्षाएं सफलतापूर्वक कराने में सफल रही थी. पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गोरखपुर से अनिल गिरि पकड़ा गया है. गिरि ने कबूला कि उसने आवेदकों से पैसे लिए हैं. उसने उन्हें साल्वर (प्रश्नपत्र हल करने वाला) उपलब्ध कराने की गारंटी दी.


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यश ने बताया कि पूर्व में भी परीक्षा के दौरान ब्लू टूथ उपकरण के इस्तेमाल की घटनाएं हो चुकी हैं. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर चल रही गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिये गए हैं. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाह थी कि मौजूदा परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो चुका है लेकिन बाद में पता चला कि जिस प्रश्नपत्र का जिक्र किया जा रहा था, वह फर्जी था.