प्रयागराज: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कानूनी दांवपेंच को लेकर यूपी की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अधिग्रहण के खिलाफ दाखिल की गई किसानों की अर्जी को खारिज करते हुए एयरपोर्ट के निर्माण का रास्ता साफ़ कर दिया है. अदालत ने माना है कि एयरपोर्ट का निर्माण जनता की ज़रुरत है और इसके लिए अर्जेंसी की धारा के तहत ज़मीन का अधिग्रहण कतई ग़लत नहीं है.


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किशोरपुर गांव के तकरीबन सौ किसानों ने अपनी 403 हेक्टेयर ज़मीन के अधिग्रहण को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. किसानों की तरफ से दलील दी गई थी कि उनकी ज़मीनों का अधिग्रहण मनमाने तरीके से किया गया है. उनसे आपत्ति नहीं ली गई और साथ ही अर्जेंसी की धारा के तहत अधिग्रहण कर लिया गया. किसानों ने ग्रामीण इलाके को शहरी इलाके में तब्दील कर दोगुना मुआवजा दिए जाने की भी मांग की थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में कई महीनों तक चली सुनवाई के बाद अपना जजमेंट 25 फरवरी को रिजर्व कर लिया था.


जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने आज अपने फैसले में अधिग्रहण को सही माना और कहा कि एयरपोर्ट जनता की ज़रुरत के लिया बनाया जा रहा है, इसलिए सरकार को अर्जेंसी की धारा के तहत इसके लिए ज़मीन का अधिग्रहण करना सही है. ज़ेवर एयरपोर्ट के लिए किसानों की कुल 1334 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहीत की गई है, जिसमें अकेले किशोरपुर गांव के किसानों की 403 हेक्टेयर ज़मीन है.


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बता दें कि...

नोएडा से जेवर की दूरी करीब 57 किलोमीटर है.
गाजियाबाद से जेवर की दूरी 73 किलोमीटर है.
अलीगढ़ से जेवर की दूरी करीब 83 किलोमीटर है.


गौरतलब है कि दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के जेवर इलाके में इंटरनेशनल लेवल का एयरपोर्ट प्रस्तावित है. एयरपोर्ट निर्माण के लिए यूपी की योगी सरकार ने ज़मीन अधिग्रहण की कार्यवाही की है. जेवर एयरपोर्ट के निर्माण को योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट भी माना जा रहा है. किसानों के वकील ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की बात कही है.