महराजगंजः सोहगीबरवा सेंक्‍चुरी (सोहगीबरवा वन्‍य-जीव प्रभाग) में विशेषज्ञों की टीम ने नेपाली रुद्राक्ष के पेड़ों का मिनी जंगल खोज निकाला है. देहरादून से राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और चमोली से वनस्‍पति विज्ञान के विशेषज्ञों की टीम ने नेपाली रुद्राक्ष के मिनी जंगल को खोजा है. दुनिया खासकर हिन्‍दू धर्म में रुद्राक्ष का धार्मिक और आध्‍यात्मिक महत्‍व है. इसके साथ ही वैज्ञानिक विशेषताओं के कारण भी रुद्राक्ष लोगों को खासा आकर्षित करता है.


इसी साल मार्च महीने में महराजगंज के सोहगीबरवा सेंक्‍चुरी पहुंची एनटीसीए और वनस्‍पति विज्ञान के विशेषज्ञों की टीम ने रुद्राक्ष के मिनी जंगल की खोज की. नेपाली रुद्राक्ष की गुणवत्‍ता के कारण इसका खासा महत्‍व भी है. यही वजह है कि सोहगीबरवा सेंक्‍चुरी में रुद्राक्ष के इस मिनी जंगल की खोज को महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है. टीम ने अब तक 121 वृक्षों की पहचान और गिनती कर ली है. ये पेड़ चार वर्गकिलोमीटर के दायरे में मिले हैं. ये मिनी जंगल नेपाल से सटी नारायणी नदी के पास हैं.


रुद्राक्ष के पेड़ नेपाल, मलेशिया, मलाया, इंडो‍नेशिया, चीन, बर्मा में पाए जाते हैं. धार्मिक, आध्‍यात्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व के साथ रुद्राक्ष में औषधीय गुण भी हैं. नेपाल का रुद्राक्ष इस सभी के लिए बेहतर माना जाता है. वन विभाग की ओर से पहली बार इस सेंक्‍चुरी में दुर्लभ वृक्षों की गणना कर रहे हैं. सोहगीबरवा जंगल बाघ और तेंदुए के लिए भी जाना जाता है. टीम को यहां पर दोनों की ही मौजूदगी मिली है.


दुर्लभ वृक्षों की गणना में रुद्राक्ष के मिनी जंगल के मिलने से सोहगीबरवा सेंक्‍चुरी की समृद्धता का पता चलता है. रुद्राक्ष के पेड़ की लम्‍बाई 50 से 200 फीट तक होती है. वृक्ष में रुद्राक्ष फल के रूप में होता है. इसके फूलों का रंग सफेद होता है. इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है. इसके अंदर गुठली के रूप में रुद्राक्ष मौजूद होता है. रुद्राक्ष श्‍वेत, लाल, पीत और कृष्‍ण रंग का होता है. विश्‍व में इसकी 123 प्रजातियां और भारत में 25 प्रजातियां पाई जाती हैं.


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