लखनऊ: 2014 में गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किए गए दो पाकिस्तानी आतंकवादियों को लखनऊ की विशेष अदालत ने 10-10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.


26 मार्च, 2014 को यूपी एटीएस ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पास से तहरीक-ए-तालिबान के दो आतंकवादी अब्दुल वलीद उर्फ मुर्तजा उर्फ अफरोज और फहीम उर्फ ओवैस उर्फ सलाम उर्फ शादाब खान को गिरफ्तार किया था. दोनों पाकिस्तान के कराची के रहने वाले हैं.



ये लोग जिस वक्त गिरफ्तार हुए थे, उनके पास से दो ऐके-47 राइफल, 70 कारतूस, 30 कारतूस के साथ 2 चाइनीज पिस्टल, भारत-नेपाल के सिम, फर्जी भारतीय पहचानपत्र के अलावा अमेरिकी डालर, नेपाली, भारतीय और पाकिस्तानी मुद्रा बरामद हुई थी. दोनों आतंकियों के खिलाफ थाना एटीएस लखनऊ पर आईपीसी की धारा 121।/122/120बी, आर्म्स एक्ट, यूएपीए एक्ट 1967 व 14ए(बी) विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

एटीएस ने बताया कि पूछताछ में आतंकियों ने बताया था कि वह तहरीक-ए-तालिबान (अफगानिस्तान) के कैम्प में प्रशिक्षित थे और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के संपर्क में थे. ये लोग भारत में आतंकी घटना को अंजाम देने के मकसद से नेपाल के रास्ते यहां आए थे. ये लोग यूपी में अंधाधुंध फायरिंग के फिराक में थे.

इस मामले में चार साल बाद गुरुवार को लखनऊ जेल कोर्ट के विशेष न्यायधीश ने फैसला सुनाते हुए दोनों आतंकियों अब्दुल वलीद और फहीम उर्फ ओवैस को 10-10 साल सश्रम कारावास और 25000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

इस मामले में बेहतरीन काम करने के लिए डीजीपी ने तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक राजेश कुमार श्रीवास्तव और पैरोकार आरक्षी रमाकांत मिश्रा को प्रशंसा चिन्ह से सम्मानित करने की घोषणा की है.