लखनऊ: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है, और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब पूरी दुनिया की नजर फैसले पर टिकी हुई है. नवंबर में इस मामले पर फैसला आ सकता है. इस बीच विश्व हिंदू परिषद ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि मंदिर का लगभग आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. बाकी निर्णय आने के बाद पूरा कर लिया जाएगा. राममंदिर निर्माण के लिए 1990 में स्थापित की गई कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का कार्य पूरा हो गया है.


268 फुट लंबा और 140 फुट चौड़ा होगा राम मंदिर- विश्व हिंदू परिषद


वर्तमान में रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में प्रथम तल की पत्थर तराशी का काम लगभग पूरा हो गया है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर 268 फुट लंबा और 140 फुट चौड़ा और 128 फुट ऊंचा होगा. मंदिर की प्रथम पीठिका पर 10 फुट चौड़ा परिक्रमा का स्थान बनाया जाएगा.


उन्होंने बताया कि मंदिर दो मंजिल का बनाया जाएगा, और दूसरे मंजिल पर राम दरबार और उसके ऊपर शिखर होगा. राम मंदिर के हर तल पर 106 खंभे और हर एक खंभे में 16 मूर्तियां होंगी.


1 लाख घनफुट से ज्यादा पत्थर तराशे जा चुके हैं- विश्व हिंदू परिषद
शर्मा ने बताया, "अग्रभाग, सिंह द्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप और गर्भगृह के रूप में मंदिर के मुख्यतया पांच प्रखंड होंगे. पूरा मंदिर बनने में 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगना है. इसमें से 1 लाख घनफुट से ज्यादा पत्थर तराशे जा चुके हैं."


125 मूर्तियां बनाई जानी हैं- विश्व हिंदू परिषद


शर्मा ने बताया, "रामलला का जो क्षेत्र है, वह करीब 77 एकड़ में है. रामजन्मभूमि न्यास ने 1992 में लगभग 45 एकड़ में रामकथा कुंज बनाने की योजना बनाई थी. इसके लिए हमने तैयारी कर रखी है. राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूप को पत्थरों पर उकेरा जाएगा. 125 मूर्तियां बनाई जानी हैं. अब तक करीब 24 मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं."


उन्होंने बताया, "पूरे मंदिर में 1 लाख 75 हजार घन फुट पत्थर लगना है, जिसमें से 1 लाख घन फुट से अधिक पत्थर को गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कारीगरों द्वारा तराशा जा चुका है. मंदिर का भूतल सहित करीब 65 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही राम जन्म भूमि पर मंदिर का भूतल पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा."


राम मंदिर निर्माण का कार्य गुजरात से आए अन्नू भाई सोमपुरा की देखरेख में हो रहा है. अन्नू ने बताया, "1990 से काम चल रहा है. वह 45 वर्ष की आयु में यहां आए थे. 30 साल से लगातार पत्थरों की ताराशी का काम चल रहा है. अब तो पत्थर भी मंदिर में लगने के लिए रो रहे हैं. मेरा पूरा परिवार यहीं रहता है. मेरे तीन बेटे हैं, जो यहां आते-जाते रहते हैं. सरकार चाहे जिसकी रही हो पत्थर ताराशने का काम कभी बंद नहीं हुआ है. पूरा मंदिर बनने में लगभग तीन वर्ष लग जाएंगे."


उन्होंने बताया, "राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से खूबसूरत गुलाबी पत्थरों को मंगाया गया है. पत्थरों को काटने के लिए मशीनें लगाई गई हैं. इसे तराशने में करीब 100 करीगर लगे हुए हैं. जो निरंतर काट कर इसकी नक्काशी बना रहे हैं. इसके चलते अब तक राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के मुताबिक प्रथम तल का कार्य पूरा कर लिया गया है. इसके लिए करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी हो चुकी है. अभी नींव खोदी जाएगी. जन्मभूमि के पीछे खाई है, जिसे पूरा करने में समय लगेगा."


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