यूपी: बीजेपी सरकार छात्रों के चुनाव से डरती क्यों है? -प्रियंका गांधी
बता दें कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी 132 साल पुरानी है, जबकि यहां का छात्रसंघ छियानबे साल पुराना. 1923 में यहां छात्रसंघ का तब गठन हुआ था, जब देश ही नहीं समूचे एशिया की यूनिवर्सिटीज में छात्रों के बीच चुनाव कराकर उनके संगठन को खड़ा करने की कोई परंपरा नहीं थी.
लखनऊ: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार तो खुद चुनकर आई है, मगर छात्रों के चुनाव और उनकी आवाज से क्यों डरती है? प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा, "इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भंग करने के खिलाफ आवाज उठाने पर एनएसयूआई छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव को प्रशासन ने निलंबित करके काली सूची में डाल दिया है. बीजेपी सरकार तो खुद चुनकर आई है. मगर छात्रों के चुनाव और उनकी आवाज से डरती क्यों है? यह तानाशाही नहीं तो क्या है."
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ को भंग करने के खिलाफ आवाज उठाने पर @nsui से छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव को प्रशासन ने निलंबित करके ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। भाजपा सरकार तो खुद चुनकर आयी है। मगर छात्रों के चुनाव और उनकी आवाज से इतना डरती क्यों है? यह तानाशाही नहीं तो क्या है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 16, 2019
बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में अराजकता फैलाने और अभद्र व्यवहार के आरोप में छात्र नेता अखिलेश यादव को निलंबित किया है. एनएसयूआई नेता अखिलेश को विश्वविद्यालय में काली सूची में भी डाल दिया गया है.
इधर एनएसयूआई का दावा है कि अखिलेश यादव छात्र संघ को भंग करने का विरोध कर रहे थे जिस कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें यह सजा दी है.
बता दें कि देश में सियासत की नर्सरी कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ को ख़त्म कर दिया गया है. यहां का छात्रसंघ छियानबे साल पुराना है और इसे देश ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे पुराना छात्रसंघ कहा जाता है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ ने देश को पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर - वीपी सिंह और गुलजारी लाल नंदा समेत पूर्व सीएम एनडी तिवारी व मदन लाल खुराना जैसे सियासी दिग्गजों को राजनीति की एबीसीडी सिखाई है. यूनिवर्सिटी प्रशासन की दलील थी कि छात्रसंघ की वजह से कैम्पस में अराजकता का माहौल रहता है और इस पर पाबंदी लगाए जाने के बाद 132 साल पुरानी इस यूनिवर्सिटी का गौरव फिर से वापस आ सकेगा.