नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के सात चरण पूरे हो चुके हैं. इन सबके बाद अब नतीजों की बारी है. हर पार्टी की नजर उत्तर प्रदेश पर है. और हो भी क्यों ना लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है. तो आइए जानते हैं लोकसभा चुनाव में यूपी आखिर क्यों इतना खास है.

कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता हासिल करने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है इसमें कोई शक नहीं. उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी का झंडा बुलंद होता है दिल्ली में भी सरकार उसी की बनती है. उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस राज्य ने देश को 10 प्रधानमंत्री दिए हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दूसरी बार यूपी के बनारस से मैदान में है.

बात करें 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 71 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए में शामिल अपना दल के खाते में दो सीटें,समाजवादी पार्टी को पांच, कांग्रेस को दो सीटें मिली थी जबकि बसपा का खाता भी नहीं खुला था.

2014 में क्या रहे थे नतीजे ?
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने एतिहासिक जी दर्ज की थी. बीजेपी अकेले दम पर राज्य में 71 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए में शामिल अपना दल के खाते में दो सीटें आई थी. अपना दल के कुवर हरिवंश सिंह ने प्रतापगढ़ से चुनाव जीता था और मिर्जापुर से अनुप्रिया सिंह पटेल ने जीत दर्ज की थी. वहीं सूबे की 5 लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया था.

फिरोजाबाद से अक्षय यादव और मैनपुरी के साथ दूसरी सीट आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. वहीं बदांयू से धर्मेंद्र यादव ने चुनाव जीता था. मुलायम परिवार की बहू डिंपल यादव ने कन्नौज से जीत दर्ज की थी, कांग्रेस के खाते में दो सीटें गई थी. रायबरेली से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी जीती थीं तो वहीं अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी.

वोट प्रतिशत
राज्य में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी 42.63 वोट पाने में कामयाब हुई थी. वहीं कांग्रेस बीएसपी 19.77 प्रतिशत वोट लेकर एक भी सीट नहीं जीत पायी थी. समाजवादी पार्टी भी 22.35 प्रतिशत वोट लेकर सिर्फ 5 सीटें जीत सकी. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 7.53 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे जबकि राष्ट्रीय लोक दल को 0.86 प्रतिशत वोट मिले थे.

यूपी को साधने के लिए अखिलेश-मायावती ने 22 बार साझा किया मंच

लोकसभा चुनाव के सातों चरणों में मायावती ने 22 बार अखिलेश के साथ मंच साझा किया और साथ मिलकर करीब आधा दर्ज रोडशो किए. कई लोगों को ताज्जुब में डालते हुए अखिलेश ने मायावती को मैनपुरी की एक रैली में मुलायम सिंह यादव के साथ भी मंच साझा करने के लिए राजी कर लिया.

प्रदेश में सपा-बसपा की कुल 97 रैली हुईं जबकि बीजेपी ने 407 रैली कीं. राज्य में प्रचार समाप्त होने के बाद भावी रणनीति के लिए अखिलेश ने मायावती के साथ कई बैठकें की हैं.

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