लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ विधायकों के वेतन कटौती और निधी फंड रोकेने के प्रस्ताव पर आज शाम 5 बजे कैबिनेट की बैठक करेंगे. कोरोना वायरस से निपटने के लिए विधायकों के वेतन में कटौती का फैसला लिया जा सकता है. केंद्र के बाद गुजरात और हिमाचल के मंत्री भी 30 प्रतिशत कटौती का फैसला कर चुके हैं.


गुजरात में लिया जा चुका है फैसला


 गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा के सभी सदस्यों और राज्य की बीजेपी सरकार के सभी मंत्रियों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए धन जुटाने के लिए एक साल तक अपना 30 प्रतिशत वेतन कटाने का निर्णय लिया. एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कोर कमेटी की बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया.


केंद्र ने लिया था फैसला


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया था. इस बैठक में तय किया गया था कि लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की सैलेरी में से 30 फीसदी की कटौती अगले एक साल तक की जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि कैबिनेट ने मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के तहत सैलरी, अलाउंस व पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी. जिसमें संसद के सभी सदस्यों का वेतन और पेंशन एक साल के लिए 30 फीसदी घटाया गया. बता दें कि यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू होगी.


कटौती के बाद सांसदों की सैलेरी


संसद अधिनियम 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन के नवीनतम संशोधन जो 2018 में हुआ था उसके अनुसार एक सांसद की महीने की सैलेरी एक लाख है. लोकसभा के प्रत्येक मेंबर को पांच साल तक हर महीने एक लाख रुपये सैलेरी के रूप में मिलती है.


वहीं राज्यसभा के सदस्य को इतनी ही सैलेरी हर महीने छह साल तक मिलता है क्योंकि राज्यसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है. इस सैलेरी के अलावा प्रत्येक सांसद को 2000 रुपये हर दिन का भत्ता भी मिलता हैं. अब सासंदों की सैलेरी एक लाख में से 30 प्रतिशत की कटौती के बाद उनको हर महीने अगले एक साल तक 70 हजार रुपये मिलेंगे.


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