लखनऊ: उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने गौतम बुद्ध नगर में बनने वाले जेवर हवाई अड्डे के निर्माण को और तेजी देते हुए ग्रामसभा और राज्य सरकार की जमीन नागरिक उड्डयन विभाग को मुफ्त देने का निर्णय लिया है. जेवर ग्रीन फील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण कार्य जनवरी या फरवरी 2020 से शुरू कर दिया जाएगा. इस हवाई अड्डे से पहली उड़ान 2023 में शुरू होने की उम्मीद है.


राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये इस निर्णय के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया, ‘‘बैठक में जेवर हवाई अड्डे के लिये नागरिक उड्डयन विभाग को ग्रामसभा की 59.79 हेक्टेयर और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली 21.36 हेक्टेयर जमीन मुफ्त देने का फैसला किया गया है. पहले चरण में इस हवाई अड्डे का विस्तार 1334 हेक्टयर क्षेत्र में किया जाएगा और इसके वर्ष 2023 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है.’’


आठ रनवे वाले इस एयरपोर्ट पर 15754 करोड़ खर्च होने का अनुमान
करीब 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में बनने वाले जेवर हवाई अड्डे के निर्माण पर 15754 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसका संचालन पूरी तरह शुरू होने पर इसमें आठ रनवे काम करेंगे. इतनी संख्या में रनवे देश के किसी दूसरे हवाई अड्डे पर नहीं हैं. इस हवाई अड्डे की शुरुआत वाले साल में ही 50 लाख यात्रियों के आने की उम्मीद है.


इन लोगों को मिलेगा फायदा
यह एयरपोर्ट आगरा, मथुरा, गौतमबुद्धनगर सहित अनेक स्थानों की हवाई सम्पर्क के लिए उपयोगी होगा और उत्तर प्रदेश को राजस्थान, उत्तराखण्ड और हरियाणा आदि प्रदेशों से जोड़ेगा.


बता दें कि...
नोएडा से जेवर की दूरी करीब 57 किलोमीटर है.
गाजियाबाद से जेवर की दूरी 73 किलोमीटर है.
अलीगढ़ से जेवर की दूरी करीब 83 किलोमीटर है.


भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा जेवर
जेवर भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. दिल्ली का एयरपोर्ट 2400 हेक्टेयर में है जबकि मुंबई का एयरपोर्ट 1400 हेक्टेयर में बना हुआ है.


कम हो जाएगा आईजीआई एयरपोर्ट का बोझ
इस हवाइअड्डे का एक मकसद दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाइअड्डे का बोझ कम करना और आकस्मिक समय में उसके विकल्प के तौर पर उपयोग करना भी है.


2023 तक शुरु होने की संभावना


एयरपोर्ट पर शुरुआती चरण में दो रनवे बनाए जाएंगे और इस पर 2023 तक संचालन शुरु हो जाने की संभावना है. इस एयरपोर्ट कार्गो की संभावित क्षमता 30 लाख टन प्रतिवर्ष है.