लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार के भ्रष्टाचार को परत दर परत उधेड़ना शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के बाद अब यूपी लोक सेवा आयोग के भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. योगी ने आज आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव को तलब किया.


योगी आदित्यनाथ के निशाने पर अब यूपी का लोकसेवा आयोग है. इस आयोग से राज्य सरकार के पीसीएस अफसरों की भर्ती की जाती है. पिछली अखिलेश सरकार में यूपी लोकसेवा आयोग का ये दफ्तर काफी विवादों में रहा था. बीजेपी के एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने इस बारे में सीएम योगी से शिकायत की है. देवेंद्र के मुताबिक 2012 में 86 PCS अफसरों में से 54 अफसर सिर्फ अखिलेश यादव के इलाके की खास जाति के ही थे.


बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने इंटरव्यू के दौरान जाति विशेष के अभ्यर्थियों को 200 में से 135 से 140 नंबर, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 100 और अल्पसंख्यक और दलित अभ्यर्थियों को 80-80 नंबर ही देने का आरोप लगाया है.


देवेंद्र ने सीएम योगी से मांग की है कि वो इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करें. 2014 में यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे अनिल यादव का कार्यकाल काफी विवादित रहा था. यूपी के आगरा के एक थाने में उनका नाम हिस्ट्रीशीटरों की लिस्ट में था लेकिन अखिलेश सरकार ने उन्हें आयोग का अध्यक्ष बना दिया. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें हटना पड़ा था.


यूपी में आज से तमाम विभागों के प्रमुख सचिवों और अधिकारियों ने अपने विभागों से जुड़े कार्यक्रमों का प्रेजेंटेशन सीएम योगी को देना शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने शिक्षा को तरजीह देते हुए सबसे पहले शिक्षा विभाग का प्रजेंटेशन लेना शुरू किया है. सभी विभागों के प्रमुखों का प्रेंजेटेशन का ये कार्यक्रम 20 अप्रैल तक चलेगा और इसमें अफसरों को बताना होगा कि वो अपने अपने विभाग में क्या काम करेंगे और उसे कितने दिन में किस तरह अंजाम देंगे.