लखनऊ: यूपी सरकार ने राज्य में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने को मंजूरी दे दी. इस फैसले के बाद राजधानी लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर की तैनाती की जाएगी. लखनऊ और नोएडा में पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है. सुजीत पांडेय लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे. वहीं गौतममबुद्ध नगर की जिम्मेदारी आलोक सिंह को दी गई है.


बता दें कि लखनऊ और नोएडा में अबतक पुलिस का ज़िले का मुखिया एसएसपी होता था. लेकिन हाल के दिनों में जैसे पुलिस व्यवस्था की कमियां सामने आईं, उसको देखते हुए अब दोनों ज़िलों में एडीजी रैंक के अधिकारी को ज़िले की कमान कमिश्नर बनाकर दी जाएगी. यह प्रणाली लागू होने के बाद लखनऊ और नोएडा के ज़िलाधिकारियों की ज़िम्मेदारी राजस्व की रह जायेगी. वहीं कानून व्यवस्था की सारी ज़िम्मेदारी पुलिस कमिश्नर की हो जाएगी.


पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने बताया कि कमिश्नरी प्रणाली अंग्रेजों के समय से चेन्नई, कोलकता और मुंबई में लागू थी. इसके बाद इसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हैदराबाद, राजकोट और अहमदाबाद जैसे शहरों में भी लागू किया गया. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और पंजाब में यह प्रणाली लागू नहीं है.


उन्होंने बताया कि इसमें उप पुलिस अधीक्षक (डिप्टी एसपी) से ऊपर जितने अधिकारी होते हैं, उनके पास मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति होती है. मगर थानाध्यक्ष और सिपाही को वही अधिकार रहेंगे, जो उन्हें फिलहाल मिले हुए हैं.


पूर्व डीजीपी ने बताया कि कहीं विवाद या बड़े बवाल जैसी घटना होती है तो जिलाधिकारी के पास ही भीड़ नियंत्रण और बल प्रयोग करने का अधिकार होता है, मगर कमिश्नरी लागू होने पर इसका अधिकार पुलिस के पास होगा. इसके साथ ही शांति व्यवस्था के लिए धारा-144 लागू करने का अधिकार भी कमिश्नर को मिल जाएगा.


50 वर्ष से उत्‍तर प्रदेश में ‘स्‍मार्ट पुलिसिंग’ के लिये पुलिस आयुक्‍त प्रणाली की मांग की जा रही थी


 मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 50 वर्ष से उत्‍तर प्रदेश में ‘स्‍मार्ट पुलिसिंग’ के लिये पुलिस आयुक्‍त प्रणाली की मांग की जा रही थी. अब मंत्रिमण्‍डल ने लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में यह प्रणाली लागू करने का फैसला किया है.


उन्‍होंने कहा कि काफी पहले से सोचा जा रहा था कि नगरीय आबादी के लिये यह प्रणाली लागू होनी चाहिये, मगर राजनीतिक इच्‍छाशक्ति के अभाव में इसे नजरअंदाज किया गया.


कुछ ऐसी होगी अधिकारियों की तैनाती


योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि प्रदेश सरकार ने राज्‍य के इन दो महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में पुलिस आयुक्‍त प्रणाली लागू करने का फैसला किया है.’’


उन्होंने कहा कि लखनऊ में 40 लाख लोग और गौतमबुद्धनगर में 25 लाख लोग रहते हैं और इन दोनों ही जगहों पर अपर पुलिस महानिदेशक स्‍तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त बनाये जाएंगे. साथ ही, पुलिस महानिरीक्षक रैंक के दो-दो अधिकारी संयुक्‍त आयुक्‍त होंगे.


मुख्‍यमंत्री ने बताया कि पुलिस आयुक्‍त और उपायुक्‍तों की मदद के लिये लखनऊ में पुलिस अधीक्षक स्‍तर के नौ और नोएडा में पांच अधिकारी तैनात होंगे.


उन्होंने कहा कि इसके अलावा महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों के निपटारे के लिये पुलिस अधीक्षक स्‍तर की एक-एक महिला अधिकारी की भी तैनाती की जाएगी. साथ ही पुलिस अधीक्षक स्‍तर का एक अधिकारी यातायात प्रणाली के लिये भी तैनात होगा.


योगी ने अन्‍य बड़े शहरों में भी आयुक्त प्रणाली लागू करने की सम्‍भावना सम्‍बन्‍धी सवाल पर कहा, ‘‘प्रदेश में बेहतर कानून-व्‍यवस्‍था के लिये जो भी कदम उठाने होंगे, हम उठाएंगे.’’


पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर


· भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं.


· इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है.


· लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है.


· यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं.


· सबसे बड़ी समस्या यही है कि इससे IAS और IPS के बीच तकरार बढ़ेगी.


देश में पुलिस कमिश्नर


· देश के 15 राज्यों में पुलिस कमिश्नर हैं.


· इन 15 राज्यों के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर की तैनाती है.


· इनमें यूपी और बिहार जैसे राज्य शामिल नहीं हैं.


· यूपी जनसंख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है.


आइडिया कहां से आया


· वैसे तो देश के कई शहरों में पुलिस कमिश्नर हैं.


· दिसंबर 2018 में यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने ये आइडिया योगी सरकार को दिया था.


· राम नाईक ने सुझाव दिया कि 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पुलिस कमिश्नर तैनात किए.


· नाईक ने कानपुर, गाजियाबाद और लखनऊ में ट्रायल बेसिस पर कमिश्नर सिस्टम लाने का सुझाव दिया.


किन बातों पर चर्चा


· अलग-अलग शहरों में पुलिस कमिश्नर के पास अलग-अलग पावर है.


· जैसे मुंबई में शस्त्र लाइसेंस और आबकारी की दुकानों के लाइसेंस जारी करने का अधिकार पुलिस कमिश्नर को ही दिया गया है.


· जबकि गुड़गांव में पुलिस को यह अधिकार नहीं है.


· देश में अलग-अलग शहरों में अलग-अलग रैंक के अधिकारी कमिश्नर बनाए जाते हैं.


· यूपी में भी तय होना है कि एडीजी या आइजी स्तर के अधिकारी की तैनाती होगी.


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