लखनऊ: लोकभवन में लगेगी अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फुट ऊंची प्रतिमा
बता दें कि राजभवन की ओर से जारी बयान में पहले वाजपेयी की प्रतिमा की ऊंचाई 21 मीटर बताई गई थी. लेकिन बाद में एक संशोधित बयान जारी हुआ जिसमें प्रतिमा की ऊंचाई 25 फुट बतायी गयी.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित लोकभवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी. यह ऐलान राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाजपेयी की 95वीं जयंती के मौके पर आयोजित 'महानायक अटल' विषयक परिचर्चा में किया. प्रतिमा की ऊंचाई 25 फुट होगी.
योगी ने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तर प्रदेश से अटूट संबंध था. सार्वजनिक जीवन की शुरूआत उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से की और पांच बार लखनऊ से सांसद रहे.'
योगी ने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन के आधारस्तंभ थे. पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी से उन्होंने राजनीति के गुर सीखे और राजनीति में भरोसे के प्रतीक बने.'
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाजपेयी को अनेक पदों पर रहते हुए जो सम्मान प्राप्त हुआ, वह अद्भुत है. वह लम्बे समय तक लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में काम करते रहे जो प्रत्येक जनप्रतिनिधि के लिये अनुकरणीय है.
उन्होंने बताया कि वाजपेयी की स्मृति में कई योजनाओं का शुरुआत की गई है. 'लोक भवन में उनकी 25 फुट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी.'
बता दें कि राजभवन की ओर से जारी बयान में पहले वाजपेयी की प्रतिमा की ऊंचाई 21 मीटर बताई गई थी. लेकिन बाद में एक संशोधित बयान जारी हुआ जिसमें प्रतिमा की ऊंचाई 25 फुट बतायी गयी.
इस मौके पर राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु ईसा मसीह, महामना मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मतिथि एक ही है.
उन्होंने कहा, 'मैं ऐसे सभी महान व्यक्तियों को अपनी ओर से और प्रदेश की जनता की ओर से नमन करता हूं.'
नाईक ने कहा कि वाजपेयी राजनीति के महानायक और देश के सर्वमान्य नेता थे. दल के लोग उनकी प्रशंसा करें तो स्वाभाविक है पर अटल जी की स्तुति विपक्षी दल के नेता भी करते हैं.
उन्होंने कहा कि वाजपेयी में सबको साथ लेकर चलने की विशेषता थी और उन्होंने देश को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. राज्यपाल ने कहा कि वाजपेयी ने लखनऊ से सांसद रहते हुए भी अपना निजी आवास नहीं बनाया.
नाईक ने कहा कि वाजपेयी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और उनके साथ संगठन और सरकार में काम करने का अवसर मिला.
उन्होंने बताया कि जब वाजपेयी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो वह मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष थे. 1980 में मुंबई में आयोजित पहले पार्टी अधिवेशन में न्यायमूर्ति छागला ने अपने संबोधन में कहा था, 'मैं मिनी इण्डिया देख रहा हूं और मेरे दाहिने हाथ की ओर देश के भावी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बैठे हैं.' आगे जाकर न्यायमूर्ति छागला की भविष्यवाणी सही साबित हुई और वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने.
राज्यपाल ने कहा कि वाजपेयी कार्यकर्ताओं से बड़ी आत्मीयता और स्नेह से मिलते थे.
नाईक ने बताया कि 1994 में जब उन्हें कैंसर हुआ तब वह लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे. उन्होंने त्यागपत्र देने की बात कही तो वाजपेयी ने उनसे कहा कि 'त्यागपत्र मैं अपने पास रखता हूँ पर आप जल्दी ही वापस आने वाले हैं.'
राज्यपाल ने कहा ‘‘यह कहकर वाजपेयी ने मेरा उत्साहवर्द्धन किया और स्वास्थ्य की जानकारी लेने वह स्वयं बिना किसी को बताये मेरे निवास पर आये.’’
उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीदों के परिजनों को पेट्रोल पम्प और गैस एजेन्सी देने के प्रस्ताव को वाजपेयी ने सहजता से स्वीकार किया. वाजपेयी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके रास्ते पर चलने की आवश्यकता है.
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वाजपेयी भारत के विलक्षण व्यक्ति थे. सार्वजनिक जीवन में रहते हुए व्यवहार, आचरण और कार्यशैली वाजपेयी से सीखने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि वाजपेयी की नाराजगी भी स्नेहिल होती थी. कूटनीति के मैदान के साथ-साथ युद्ध के मैदान में भी उन्होंने विजय प्राप्त की. वाजपेयी के सानिंध्य में जाने पर दलों के बंधन भी टूट जाते थे.
गृहमंत्री ने दिवंगत वाजपेयी से जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया.
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि वाजपेयी प्रिय और अप्रिय से सर्वथा मुक्त व्यक्तित्व के मालिक थे. अपने हास्य और विनोद के माध्यम से माहौल बनाना उनकी कुशलता थी. ‘‘वाजपेयी जी की डांट में भी प्रेम होता था.’’
परिचर्चा से पूर्व नाईक, राजनाथ सिंह, योगी, दीक्षित, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, राज्य मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों, महापौर संयुक्ता भाटिया ने लोक भवन के प्रांगण में लगे दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.