दो केंद्रीय विद्यालय के लिए नीतीश सरकार के द्वारा ज़मीन दिए जाने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर थक चुके केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री रहे उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार से आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है.
क्या है आमरण अनशन पर बैठने के कारण
दरअसल जब उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए गठबंधन के साथ थे उसी समय से लगातार शिक्षा व्यवस्था को सड़कों पर नजर आए थे. उनके केंद्रीय राज्य मंत्री रहते हुए ही बिहार में दो जगहों पर केंद्रीय विद्यालय पास कराया गया था. कुशवाहा का आरोप है कि दो केंद्रीय विद्यालय के साथ-साथ 13 और केंद्रीय विद्यालय देश के अन्य राज्यों में खोलने के लिए अनुमति दी गई थी जो अब सुचारू रूप से चल रही है, मगर बिहार में इसे राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है. केंद्रीय विद्यालय के लिए राज्य सरकार जमीन नहीं उपलब्ध करा रही है ऐसे में कुशवाहा ने बिहार के मुख्यमंत्री को इसके लिए 15 नवंबर तक का समय दिया था.
दिए गए समय तक राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में कोई प्रयास तक नहीं किया गया इससे नाराज उपेन्द्र कुशवाहा ने 16 नवंबर को ही आमरण अनशन पर जाने की बात कही थी. उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि अगर बिहार सरकार 'ना करेंगे और ना करने देंगे' कि नीति पर काम कर रही है, तो हम भी 'करेंगे और कर के रहेंगे' की नीति पर कायम रहेंगे.
वहीं कुशवाहा ने कहा, ''आमरण अनशन करने वाला मैं पहला व्यक्ति नहीं हूं. गाँधी जी ने भी देश हित में आमरण अनशन जैसे रास्ते को अपनाया है. मैं बस उनके कदमों पर चलने का प्रयास कर रहा हूं ताकि देश और राज्य का भला हो सके.''
उपेंद्र कुशवाहा कब और कहां करेंगे आमरण अनशन
रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने आमरण अनशन के लिए मिलर हाई स्कूल मैदान को चुना है, जहां सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. सोमवार को जगह का निरीक्षण खुद कुशवाहा ने किया, मंगलवार दिनांक 26 नवंबर को दोपहर 1 बजे से अनशन की शुरुआत होनी है. इस आमरण अनशन को 'शिक्षा सुधार वर्ना जीना बेकार' नाम दिया गया है. इसे अभियान के रूप में पूर्ण करने के संदर्भ में कुशवाहा का कहना है कि जबतक राज्य सरकार उनकी मांग पर सुनवाई नहीं करती तबतक ये अनशन जारी रहेगा.