महागठबंधन में शामिल होने के विकल्प खुले, जहां से जीता था वहीं से लडूंगा 2019 का चुनाव: उपेंद्र कुशवाहा
आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह 2019 लोकसभा चुनाव काराकात से लड़ेंगे जहां से वह 2014 में जीते थे.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने सोमवार को बीजेपी से अपना संबंध तोड़ लिया और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कैबिनेट को एक ‘रबर स्टैंप’ बनाने, पिछड़े वर्गों को धोखा देने और बिहार को केवल जुमले देने का आरोप लगाया.
बिहार से आने वाले आरएलएसपी नेता कुशवाहा ने संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले यह घोषणा करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल होने के लिए उनके विकल्प खुले हुए हैं जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस शामिल है. उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी नीत राजग राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाएगा. कुशवाहा के बीजेपी से अलग होने की उम्मीद पहले से की जा रही थी. उन्होंने अपने त्यागपत्र में कई मुद्दों को लेकर मोदी पर हमला बोला है. कुशवाहा का त्यागपत्र भी मीडिया को जारी किया गया.
कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वह निरुत्साहित और ठगे महसूस कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकता गरीब और दबे कुचलों के लिए काम करने की नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को किसी भी तरीके से 'ठीक करने' की बन गई है.
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री कुशवाहा ने अन्य पिछड़ा वर्ग और सामाजिक न्याय का मुद्दा भी उठाया जिसका इस्तेमाल विपक्ष बीजेपी को 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में घेरने के लिए कर रहा था. कुशवाहा ने आरोप लगाया कि मोदी नीत सरकार आरएसएस एजेंडे को लागू कर रही है और उन्होंने इसे असंवैधानिक करार दिया.
आरएलएसपी अध्यक्ष उसके बाद से निराश थे जब बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया था कि वह उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में दो से अधिक सीटें नहीं देगी जबकि 2014 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. पार्टी के दो सांसद और दो विधायक हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की यह घोषणा भी कुशवाहा को पंसद नहीं आयी कि बीजेपी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. कुशवाहा के नीतीश के साथ समीकरण अच्छे नहीं हैं.
एनडीए ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी को जेडीयू के गठबंधन में आने से बल मिला है जो पिछले चुनाव में उसके खिलाफ लड़ी थी. विपक्षी दलों का मानना है कि मोदी और नीतीश दोनों के खिलाफ ‘सत्ता विरोधी लहर’ के चलते राजनीतिक हवा अब बीजेपी के अनुकूल नहीं है जैसी 2014 में थी. विपक्षी दल उम्मीद कर रहे हैं कि कुशवाहा के हटने से राज्य का सत्ताधारी गठबंधन और कमजोर होगा. कुशवाहा ने दावा किया, ‘‘वे (एनडीए) इस बार राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पाएंगे.’’
कुशवाहा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके जैसे लोग मोदी के प्रति उनकी ओबीसी पृष्ठभूमि के चलते आकर्षित हुए थे और उम्मीद जतायी थी कि वह सामाजिक न्याय के एजेंडे पर काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को लगता था कि अच्छे दिन आएंगे. वे नहीं आये. बिहार वहीं है जहां वह था.’’
इसके साथ ही उन्होंने ने ओबीसी के जनगणना आंकड़े जारी नहीं करने के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों में भय और भ्रम की स्थिति है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘‘सरकार आरएसएस के एजेंडा पर चल रही है जो कि असंवैधानिक है. वह संविधान में प्रदत्त सामाजिक न्याय के एजेंडे को नजरंदाज कर रही है और पलट रही है. हमने एनडीए को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर ही समर्थन दिया था.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस का एजेंडा सामाजिक न्याय के खिलाफ है.
आरएलएसपी अध्यक्ष ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय कैबिनेट को एक रबर स्टैंप में तब्दील कर दिया गया है, जो कि प्रधानमंत्री के निर्णय का बिना किसी चर्चा के केवल अनुमोदन करता है. उन्होंने मोदी को संबोधित पत्र में लिखा है कि मंत्री और मंत्रालयों में तैनात अधिकारियों को कोई अधिकार नहीं क्योंकि सभी निर्णय वस्तुत: आपके और बीजेपी अध्यक्ष की तरफ से लिये जाते हैं जो कि असंवैधानिक है. उन्होंने लिखा है, ‘‘बिहार को एक विशेष पैकेज मुहैया कराने का वादा सबसे बड़ा जुमला है.’’ उन्होंने साथ ही नीतीश कुमार पर राज्य के आधारभूत ढांचे को लेकर निशाना साधा.
भविष्य के कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को अभी निर्णय लेना है. कुशवाहा ने कहा कि विपक्षी खेमे में शामिल होने या एक तीसरा मोर्चा बनाने का विकल्प खुला हुआ है. उनके साथ उनकी पार्टी के सांसद राम कुमार शर्मा भी थे लेकिन ऐसी खबरें हैं कि उनकी पार्टी के दो विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है और वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं.
कुशवाहा ने बीजेपी और जेडीयू पर उनकी पार्टी आरएसएपी को कमजोर करने के लिए सब कुछ करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधायकों को पाले में करने के लिए प्रलोभन दिये गए. उन्होंने यह भी कहा कि वह 2019 लोकसभा चुनाव काराकात से लड़ेंगे जहां से वह 2014 में जीते थे.
हिंदुत्व समूहों के अयोध्या में राममंदिर निर्माण की मांग पर रूख पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा कि किसी मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर का निर्माण विधिपूर्वक होना चाहिए. साथ ही कहा कि धार्मिक स्थलों का निर्माण किसी राजनीतिक पार्टी का काम नहीं है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
