बरेली: ऑल इंडिया मीट एंड लाइव स्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश में बंद कराये गये अवैध बूचड़खानों को वैध करने की प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की है. एसोसिएशन के प्रतिनिधि हाजी शकील कुरैशी ने कल संगठन के प्रतिनिधिमण्डल के साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से मुलाकात के बाद आज प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि एसोसिएशन को अवैध बूचड़खानों पर हुई कार्रवाई से कोई शिकायत नहीं है लेकिन इनसे हजारों लोगों की रोजी रोटी जुड़ी होने के मद्देनजर प्रदेश सरकार को नाजायज वधशालाओं को वैध करने की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिये.
उन्होंने अवैध बूचड़खाने बंद कराये जाने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ‘राजधर्म का पालन’ करार देते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाई से सैंकड़ों लोगों के बेरोजगार होने के लिये प्रदेश की पूर्ववर्ती एसपी और बीएसपी सरकारें जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बूचड़खानों के लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया को समयबद्ध नहीं बनाया.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत और नगर निगमों के अपने बूचड़खाने हैं. मांस कारोबारी इन निकायों को बूचड़खानों के इस्तेमाल के एवज में धन देते हैं लेकिन फिर भी बूचड़खानों को आधुनिक सुविधाएं नहीं दी गयीं. इसके अलावा मांस काटने और बेचने वालों के लाइसेंस नवीनीकरण की फाइलें महीनों से जिला प्रशासन और शासन में धूल खा रही हैं.
मालूम हो कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के गठन के बाद पूरे प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को बंद कराने का अभियान शुरू कर दिया गया है. इससे मांस के कारोबार से जुड़े हजारों लोगों के साथ मांसाहार परोसने वाले अनेक छोटे-बड़े होटलों के बड़ी संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हो गये हैं. देश से निर्यात किये जाने वाले मांस में उत्तर प्रदेश का योगदान करीब 50 प्रतिशत है और इस कारोबार से प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से करीब 25 लाख लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है.