इलाहाबाद: यूपी में तैनात एक लाख से ज़्यादा होमगार्डों के लिए बेहद अच्छी खबर है. होमगार्डों को भी अब पुलिस कांस्टेबलों के बराबर ही हर महीने सैलरी मिल सकेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के होमगार्डों को पुलिस कांस्टेबल के न्यूनतम वेतन यानी मिनिमम सैलरी के बराबर हर महीने तनख्वाह दिए जाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के इस आदेश से यूपी के एक लाख सत्रह हजार होमगार्डों को अच्छी सैलरी मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है.



सिंगल जज के आदेश पर मुहर


यह आदेश जस्टिस वी.के.शुक्ला और जस्टिस एम.सी.त्रिपाठी की डिवीजन बेंच ने इसी हाईकोर्ट के सिंगल जज के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई उत्तर प्रदेश सरकार की स्पेशल अपील पर सुनवाई के बाद जारी किया है.


अदालत ने सिंगल जज के आदेश पर मुहर लगाते हुए उनके फैसले को बरक़रार रखा है. सिंगल जज ने होमगार्डां की याचिका पर कुछ माह पूर्व आदेश दिया था कि उन्हें भी पुलिस कांस्टेबलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर सरकार वेतन दे.


आदेश में पुलिस कॉन्स्टेबल शब्द नहीं


सरकार की अपील पर बहस करते हुए प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव का तर्क था कि एकल जज ने सुप्रीम कोर्ट के जिस निर्णय का हवाला देकर होमगार्डां को पुलिस कांस्टेबिलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है, उस आदेश में पुलिस कांस्टेबल शब्द नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस पर्सनल शब्द का प्रयोग किया है. इस कारण कोर्ट से अपर महाधिवक्ता की मांग थी कि एकल जज के आदेश में कांस्टेबल की बजाए पुलिस पर्सनल शब्द जोड़कर आदेश संशोधित किया जाए.



यूपी के एक लाख से ज़्यादा होमगार्डों को बड़ी राहत


आपको बता दें कि कानपुर के होमगार्ड रामनाथ गुप्ता और कुछ अन्य होमगार्ड्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस के बराबर सैलरी दिए जाने की मांग की थी. उनकी इस याचिका को हाईकोर्ट के एकल जज ने याचिका मंजूर कर लिया था तथा प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह प्रदेश में तैनात होमगार्डों को पुलिस कांस्टेबल की भांति न्यूनतम वेतनमान दिया जाए.


इस आदेश को सरकार ने दो जजों के समक्ष विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी. डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के आदेश को बरकरार रखते हुए यूपी के एक लाख से ज़्यादा होमगार्डों को बड़ी राहत दी है.