नई दिल्ली: मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. यूपी के मुख्यमंत्री 6 साल के लिए पार्टी से बाहर हो चुके हैं. मुलायम सिंह की इस कार्रवाई से यूपी में बड़ा संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. साथ ही सवाल उठ रहा है कि अब समाजवादी पार्टी का क्या होगा?


अखिलेश यादव के पास क्या विकल्प हैं?


ये भी सवाल उठता है कि अब अखिलेश यादव के पास क्या विकल्प हैं? समाजवादी पार्टी दो भाग में बंट चुकी है. अखिलेश बहुमत साबित करके ये दिखा सकते हैं कि पार्टी के ज्यादातर विधायक उनके साथ ही खड़े हैं. अगर कुछ विधायक मुलायम के खेमे में चले भी जाते हैं तो कांग्रेस के समर्थन से बहुमत साबित करने में अखिलेश को कोई दिक्कत नहीं होगी.


शक्ति परीक्षण LIVE: यूपी के 'दंगल' में पिता मुलायम को बेटे अखिलेश ने दे दी है पटखनी


यूपी की 403 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए 202 सीटों की जरूरत है, मौजूदा स्थिति में अखिलेश के पास फिलहाल 175 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है यानी बहुमत से 27 कम. इस स्थिति में अगर अखिलेश को कांग्रेस के 28 विधायकों का समर्थन मिल जाता है तो उन्हें सरकार बचाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. अखिलेश के पास एक विकल्प ये भी है कि वे अपने पिता से माफी मांग कर फिर पार्टी में वापसी कर ले. वहीं उनके पास एक विकल्प ये भी होगा कि वे नई पार्टी बनाकर कांग्रेस से गठबंधन करके उत्तर प्रदेश के चुनाव में उतर जाएं. राज्य में भी इस विकल्प की चर्चा जोरों पर है.


मुलायम सिंह बन सकते हैं एसपी का चेहरा 


उत्तर प्रदेश में समाजवादी घमासान के बीच एसपी मुखिया मुलायम सिंह पार्टी नेतृत्व के साथ प्रदेश में पार्टी का चेहरा भी बन सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक मुलायम राज्य में एसपी सरकार की कमान संभाल सकते हैं. अखिलेश की जिस तरह पार्टी में लोकप्रियता है उसके आगे सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही एक ऐसा चेहरा हैं जो पार्टी में सबको मान्य होंगे और पार्टी के सभी तबकों को लेकर साथ चल सकेंगे.


हालांकि ये इतना आसान नहीं है. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जल्द ही राज्यपाल को बहुमत में होने के प्रमाण के तौर पर विधायकों की सूची सौंपने वाले हैं. ऐसा मुमकिन है कि अखिलेश यादव इस्तीफा देकर खुद चुनाव कराने की सिफारिश भी कर दें. सूत्रों के मुताबिक एक बात ये भी है कि अखिलेश यादव इस्तीफा नहीं देंगे. इससे अखिलेश को यह फायदा होगा कि चुनाव आयोग को तुरंत चुनाव की घोषणा करनी पड़ सकती है. इससे केंद्र सरकार के हिस्से राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावना खत्म हो जाएगी.


केंद्र सरकार का राष्ट्रपति शासन से इनकार नहीं!
यूपी में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार का राष्ट्रपति शासन से इनकार नहीं है लेकिन यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि यूपी में कोई संवैधानिक संकट नहीं है. संविधान के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद सीएम को सदन में अपने पक्ष में बहुमत साबित करना होगा. राज्यपाल को अगर लगता है कि सदन में मुख्यमंत्री बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे तो ऐसे में राज्यपाल मुख्यमंत्री को अपने पक्ष में बहुमत साबित करने का न्योता दे सकते हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री को सदन में अपने लिए बहुमत साबित करना होगा.


मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद सदन के लिए उत्तरदायी होता है. अगर वो बहुमत का समर्थन खो देते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा लेकिन अगर वह बहुमत साबित कर पाते हैं तो वह पद पर बने रहेंगे. संविधान विशेषज्ञ कश्यप का मानना है कि यूपी में कोई संवैधानिक संकट नहीं है. मुलायम तय नहीं कर सकते की कौन सीएम रहेगा कौन नहीं. संविधान के मुताबिक बिना फ्लोर टेस्ट अखिलेश को सीएम पद से नहीं हटाया जा सकता.


संबंधित खबरें-


48 घंटों में क्या-क्या हुआ जो सपा के टूटने की नौबत आई, पूरे घटनाक्रम पर एक नज़र


समाजवादी पार्टी में महाभारत: एक नज़र मुलायम के राजनीतिक सफर पर


समाजवादी पार्टी में महाभारत: शिवपाल के बारे में वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं


केंद्र सरकार का यूपी में राष्ट्रपति शासन से इंकार नहीं- सूत्र


…तो क्या बरगद चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे अखिलेश यादव?


शिवपाल यादव और अमर सिंह के विरोध में सड़कों पर उतरे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता, जलाए दोनों के पोस्टर