लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. सभी राजनीतिक दल जाति विशेष के वोटरों में अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं. दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'भीम' एप लॉन्च कर संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नाम को भुनाने के प्रयास में दिख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती खुद को दलितों की मसीहा साबित करने में जुटी हैं.
यूपी में दलित मतदाताओं की संख्या 20.5%
इन सबके बीच रोचक बात यह है कि यदि पिछले कई विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी की सुरक्षित सीटों पर कभी भी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं रहा है. यूपी में दलित मतदाताओं की संख्या 20.5 प्रतिशत है और यह यूपी विधानसभा चुनाव में काफी अहम रोल अदा करता है. पिछले पांच विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो दलित व पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों पर किसी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं रहा है.
दलित वोट कभी कांग्रेस का वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन बाद में बीएसपी की स्थापना के बाद से ही दलितों का रुझान बदल गया. हालांकि आरक्षित सीटों पर गैर दलित मतों का ध्रुवीकरण हमेशा ही दलितों के खिलाफ रहा. दलितों का वोट भुनाने के लिए सभी पार्टियां दलित व पिछड़ों को ही उम्मीदवार बनाती हैं, लेकिन सफल वही रहा जो गैर दलित वोटों को साधने में सफल रहा.
1993 में एक साथ मिलकर चुनाव में उतरे थे SP और BSP
साल 1993 में एसपी और बीएसपी एक साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में उतरे, लेकिन यूपी की 93 सुरक्षित सीटों में से 38 विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया. यह स्थिति राम मंदिर आंदोलन की वजह से थी. साल 1996 में भी बीजेपी सुरक्षित सीटों में से 36 सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रही. बीएसपी को 20 और एसपी को 10 सुरक्षित सीटों से ही संतोष करना पड़ा.
इसके बाद वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में स्थितियां बदलीं और समाजवादी पार्टी ने 89 सुरक्षित सीटों में से 35 पर अपना परचम लहाराया. इस वर्ष के चुनाव में बीएसपी की स्थिति भी ठीक रही. उसने 24 सीटों पर विजय हासिल की, जबकि बीजेपी को केवल 18 सीटों पर जीत नसीब हुई.
इसके बाद वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने सुरक्षित सीटों पर अन्य दलों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया. बीएसपी ने 62 सीटों पर अपना कब्जा जमाया और यूपी में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी.
दलितों के साथ मुसलमानों और सर्वणों को भी मायावती ने दिया टिकट
बीएसपी के नेता हालांकि इस वर्ष के चुनाव में भी साल 2007 वाला प्रदर्शन दोहराने का दावा कर रहे हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "सुरक्षित सीटों पर इस बार बीएसपी पूरी तरह से क्लीन स्वीप करेगी. मायावती ने दलितों के साथ ही मुसलमानों और सर्वणों को भी बड़ी संख्या में टिकट दिया है."
बीएसपी के इस दावे के उलट हालांकि बीजेपी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि बीएसपी का यह दावा काम नहीं करेगा. उन्होंने कहा, "बीएसपी ने वर्ष 2007 में सोशल इंजीनियरिंग का नारा दिया था. इस चुनाव में उसे ब्राह्मण व मुस्लिम मतदाताओं का भी भरपूर समर्थन मिला. इसी गठजोड़ ने उसे सुरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने में मदद की. लेकिन इस बार सर्वर्णो का रुझान बीजेपी की ओर दिख है. यही स्थिति लोकसभा चुनाव में भी रही थी."