यूपी चुनाव: कांग्रेस ने जारी की 41 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, जितिन प्रसाद और इमरान मसूद को टिकट
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए 41 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची आज जारी कर दी जिसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और विवादास्पद नेता इमरान मसूद के नाम शामिल हैं.
कांग्रेस की पहली सूची में शामिल जितिन प्रसाद और इमरान मसूद
आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के तत्कालीन बीजेपी उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण के कारण विवादों में रहे इमरान मसूद नकुड़ सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद तिलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. इस सूची में शामिल अन्य नामों में मुकेश चौधरी देवबंद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, जबकि प्रदीप माथुर को मथुरा सीट से उतारा गया है.
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आज चुनाव पूर्व गठबंधन किया जिससे पंद्रह साल बाद बीजेपी के यूपी में सत्ता में आने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत एक समय धूमिल होती प्रतीत हुई थी, लेकिन आज अंतत: इस गठबंधन को अमली जामा पहना दिया गया जिसके मुताबिक एसपी 298 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी, जबकि कांग्रेस बाकी बची 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
अमर पाल शर्मा को साहिबाबाद सीट से बनाया गया उम्मीदवार
यूपी चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान होने के बाद कांग्रेस ने आज 41 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की. इस लिस्ट में जहां तिल्हर सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को तो वहीं नकुड़ सीट विवादित नेता इमरान मसूद को टिकट दिया गया है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की पहली सूची में बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक अमर पाल शर्मा को साहिबाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.
आपको बता दें कि कांग्रेस यूपी में 27 साल बाद सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी हुई है. इसी क्रम रविवार को क्रांगेस ने 298+105 सीटों के फॉर्मूले के तहत उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की औपचारिक घोषणा की. उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव 11 फरवरी को शुरू होंगे.
राजनीतिक परिस्थितियों के चलते यूपी में साथ आए एसपी-कांग्रेस: एसपी 298 और 105 सीटों पर लड़ेगी कांग्रेस
तमाम सन्देहों को समाप्त करते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव पूर्व गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर दिया. राजनीतिक परिस्थतियों की मजबूरी के चलते दोनों पार्टियों को एक ही नौका पर सवार होना पड़ा ताकि राज्य में 15 साल से सत्ता से बाहर रही बीजेपी की वापसी को रोका जा सके.
सीट बंटवारे को लेकर दोनों पक्षों की ओर से अपने रूख पर डटे रहने के कारण यह गठबंधन एक समय लगभग असंभव प्रतीत होने लगा था. किन्तु आज दोनों पार्टियों के प्रदेश प्रमुखों ने संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि राज्य की 403 विधानसभा सीटों में एसपी 298 तथा कांग्रेस शेष 105 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेगी.
बीजेपी को समूल उखाड़ने के संकल्प के साथ बनाया गया है गठबंधन
गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत में एक दौर ऐसा भी आया जब एसपी नेता नरेश अग्रवाल ने यहां तक कह दिया था कि गठबंधन की संभावना लगभग खत्म हो गयी है और उन्होंने इस गतिरोध के लिए कांग्रेस के अड़ियल रवैये को जिम्मेदार ठहराया. एसपी के प्रान्तीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और उनके कांग्रेसी समकक्ष राज बब्बर ने यहां आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में इस गठबंधन की घोषणा की. पटेल ने बताया कि साम्प्रदायिक शक्तियों तथा बीजेपी को समूल उखाड़ने के संकल्प के साथ यह गठबंधन बनाया गया है.
राज बब्बर ने कहा कि कि विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस चुनावपूर्व गठबंधन के लिये आपस में तैयार हुए हैं. एसपी और कांग्रेस की साझा वैचारिक ताकत बीजेपी की धुव्रीकरण करने वाली विभाजन और विघटनकारी नीतियों को मजबूती से चुनौती देगी.
130 सीटों से कम पर राजी नहीं थी कांग्रेस
राज बब्बर ने कहा कि एसपी और कांग्रेस का यह गठबंधन मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों द्वारा किये गये रचनात्मक कार्यों की बुनियाद पर खड़ा है. और यह आगे बढ़ेगा. एसपी और कांग्रेस के गठबंधन के सत्ता में आने पर एक हफ्ते के अंदर साझा न्यूनतम एजेंडा तैयार किया जाएगा. माना जा रहा था कि कांग्रेस 130 सीटों से कम पर राजी नहीं थी जबकि एसपी उसे अधिकतम 85 सीटें ही देना चाहती थी. एसपी ने गत शुक्रवार को अपने 210 उम्मीदवारों की सूची जारी करके कांग्रेस को कड़ा संदेश भी दिया था. उस वक्त लग रहा था कि अब यह गठबंधन नहीं बनेगा.
गठबंधन की घोषणा में हो रहे विलंब के कारणों में एक यह भी माना जा रहा था कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कथित रूप से इस बात से अप्रसन्न थे कि कांग्रेस नेतृत्व बातचीत के लिए किसी वरिष्ठ नेता को न भेजकर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भेज रहा था. बहरहाल, इस बातचीत में बाद में कांग्रेस का वरिष्ठ नेतृत्व शामिल हुआ और गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया.
कांग्रेस पार्टी की ओर से लाइटवेट बातचीत
सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने ट्वीट किया, ‘‘यह सुझाव देना गलत होगा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से लाइटवेट बातचीत कर रहे हैं. बातचीत उच्चतम स्तर पर हुई. मुख्यमंत्री (यूपी) और महासचिव कांग्रेस (गुलाम नबी आजाद) एवं प्रियंका गांधी के बीच.’’
कांग्रेस महासचिव एवं यूपी प्रभारी आजाद भी यह कह चुके हैं कि प्रियंका ने पार्टी द्वारा लड़ी जाने वाली सीटों की पहचान करने और गठबंधन वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. प्रियंका अभी तक स्वयं को अमेठी और रायबरेली संसदीय क्षेत्र के चुनाव तक सीमित रखती रही हैं जिसका प्रतिनिधित्व उनके भाई राहुल गांधी एवं मां सोनिया गांधी करती हैं.
अमेठी और रायलबरेली की सभी विधानसभा सीटों की मांग
आजाद ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि गठबंधन इसलिए किया गया है ताकि धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे से बचा जा सके क्योंकि उससे बीजेपी को लाभ मिलता है. उन्होंने मीडिया के एक वर्ग में आई इन खबरों को खारिज कर दिया कि वार्ता में इसलिए अड़चन आई क्योंकि कांग्रेस अमेठी एवं रायलबरेली संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली सभी विधानसभा सीटों की मांग कर रही थी.
आजाद ने कहा, ‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. हम प्रत्येक क्षेत्र में सीटें चाहते हैं, चाहे वे पूर्वी यूपी हो, पश्चिमी या मध्य उत्तर प्रदेश, या बुंदेलखंड हो..पहले हमने अकेले उतरने के बारे में सोचा किन्तु बाद में इस विचार को त्याग दिया गया क्योंकि धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने महसूस किया कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमें साथ में आना चाहिए.’’
RLD को सीट देने को तैयार नहीं थी एसपी
कांग्रेस इस गठबंधन में अजीत सिंह नीत आरएलडी को भी शामिल करने को उत्सुक थी, किन्तु एसपी इसके लिए राजी नहीं थी. एसपी ने कहा कि वह आरएलडी को सीट देने को तैयार नहीं है और यदि कांग्रेस उसे साथ लेकर चलना चाहती है तो वह अपने हिस्से की कुछ सीटें उसको दे सकती है.
आरजेडी के नेता लालू प्रसाद सहित कुछ नेताओं ने भी दोनों दलों के बीच गठबंधन कराने में पर्दे के पीछे रहकर भूमिका निभायी है. लालू के अखिलेश के साथ पारिवारिक संबंध हैं. साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी ने 29.3 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 224 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने 11.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 28 सीटें जीती थीं.