एक्सप्लोरर
Advertisement
ABP न्यूज की खबर का असर, कानपुर गौशाला की खस्ता हालत पर सीएम योगी ने मांगी रिपोर्ट
कानपुर: गौशाला में घोटाला से जुड़ी एबीपी न्यूज की खबर का असर हुआ है. एबीपी न्यूज पर कानपुर की गौशाला की खस्ताहाल दिखाए जाने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट मांगी है. एबीपी न्यूज ने दिखाया था कि कैसे देश के सबसे धनी गौशाला में एक मानी जाने वाली कानपुर गौशाला सोसाइटी में भूख की वजह से गायों की जान जा रही है. दो महीने में इक्कीस गायों की मौत हो गई थी.
एबीपी न्यूज ने दिखाया था कि कानपुर गौशाला सोसाइटी जिसके पास दो सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है वहां गायें भूख की वजह से मर रही हैं. कानपुर गौशाला देश की सबसे धनी गौशालाओं में से एक है. गोवंश के लिए गठित कानपुर गौशाला सोसाइटी कानपुर में तीन गौशालाएं चलाती है.
पहली गौशाला कानपुर को भौंती में है. दूसरी जौलोन के कालपी में और तीसरी कानपुर के महाराजपुर में है. कानपुर के भौंती में गौशाला के सुपरवाइजर रामकिशोर तिवारी के मुताबिक, 1 मार्च से अबतक 21 गाय यहां भूख की वजह से मर चुकी है. जब रामकिशोर ने ये मामला प्रबंधन के सामने उठाया तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया.
रामकिशोर के मुताबिक भौंती गौशाला में करीब 552 गाय है जिनमें से 67 गाय दूध देती है. यहां 485 गायों को सिर्फ एक कुन्तल भूसा मिलता है. यानी एक गाय को करीब 220 ग्राम ही भूसा मिलता है. चारे की ये किल्लत ही गायों को भूखा मरने पर मजबूर कर रही है. रामकिशोर तिवारी का आरोप है कि प्रबंधन चारा घोटाला करके अपनी जेब भर रहा है.
भौंती की गौशाला की तरह ही कालपी की गौशाला की भी बुरी हालत है. यहां चारे के नाम पर थोड़ा सा भूसा है. यहां 250 गायों को सुबह-शाम खेतों में चरने को छोड़ दिया जाता है. यहां गायों को ठीक प्रकार से रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यहां काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि पिछले दो महीने में यहां 40 से 50 गायों की मौत हो चुकी है.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें Khelo khul ke, sab bhool ke - only on Games Live
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
बॉलीवुड
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
क्रिकेट
Advertisement
डॉ. सुब्रत मुखर्जीरिटायर्ड प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी
Opinion