लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज बजट सत्र के दौरान विपक्ष खासतौर पर समाजवादी पार्टी पर हमलावर नजर आए. बजट पर जवाब देने सदन में खड़े हुए योगी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने राम भक्तों पर गोलियां चलाई थी आज वही लोग उपद्रवियों पर कार्रवाई करने पर हमसे जवाब मांग रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि वो चेहरे कौन थे जो अयोध्या, बनारस और गोरखपुर समेत कई जगह होने वाले ब्लास्ट के आरोपियों की मदद कर रहे थे. योगी ने कहा कि लोकतंत्र में हर एक व्यक्ति को विरोध करने की आजादी है लेकिन संविधान के अंदर रह कर ही किया जा सकता है.
योगी ने कहा- रामराज्य धार्मिक नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा, "जिन लोगों ने संविधान को तार-तार किया है वो संविधान की बात करते हैं. जिन लोगों ने महिलाओं की इज्ज्त को तार-तार किया वो महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं." सीएम योगी ने कहा, "रामराज्य कोई धार्मिक राज्य नहीं है. सिर पर टोपी पहनने से धर्म नहीं हो जाता, हमने धर्म के दायित्वों का निर्वाह किया है."
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "अयोध्या में दबी हुई भावनाओं को मंच मिला जिसने न्यायपालिका का गौरव बढ़ाया." उन्होंने कहा, "लोकतंत्र की आड़ लेकर अगर कोई आतंक मचाएगा तो वह जिस भाषा में समझेगा हम उसको उसी भाषा में समझाएंगे. जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को आघात पहुंचाना चाहते हैं और उनकी फंडिंग टेरर फंडिंग है, उनके तरफ भी विपक्षियों की सहानुभूति है. उनकी सहानुभूति अगर गरीब किसानों की तरफ होती तो हमें प्रशंसा होती लेकिन उन लोगों के प्रति उनका कोई सहानुभूति नहीं है."
'नेता अपनी बेटियों को धरने में भेजते हैं'
योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता कानून को लेकर कहा, "राजनेता अपनी बेटियों को उनके बीच भेजते हैं जो भारत के खिलाफ नारेबाजी करते हैं." उन्होंने कहा, "यूपी में दंगा नहीं हुआ अगर कोई मरने के लिए आ ही रहा है वो ज़िंदा कैसे बचेगा? पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा उपद्रवी अपने आप से मरे हैं."
'हिंसा करने वालों को मिला राजनीतिक संरक्षण'
सीएम योगी ने पीएफआई का जिक्र करते हुए कहा, "उपद्रवियों को पीएफआई की टेरर फंडिंग हुई है. सिमी और पीएफआई के प्रति सहानुभूति का मतलब देश से गद्दारी होती है." उन्होंने कहा, "सीएए के खिलाफ हुई हिंसा सोचने पर मजबूर करती है कि आंदोलन की आड़ में जो लोग हिंसा कर रहे थे उनको राजनीतिक संरक्षण मिला था."
योगी ने आगे कहा, "15 दिसंबर को जब जामिया में हिंसा हुई तो मैंने अधिकारियों को अलर्ट किया और एएमयू के बाहर पुलिस ने स्थिति को संभाला. धरना प्रदर्शन के लिए प्रायोजित तरीके से हिंसा की गई थी. योगी ने भरोसा दिया कि अलीगढ़ सुरक्षित था, है और रहेगा."
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