गोरखपुर: यूपी के डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट बनाकर 14 साल के नाबालिग ने पुलिस के आलाधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दिया. गोरखपुर पुलिस ने डीजीपी का आदेश मानकर उस पर एक्शन भी ले लिया. लेकिन, जब उन्होंने इसके बारे में डीजीपी को रिपोर्ट भेजी, तो पता चला कि वहां से इस तरह का कोई आदेश दिया ही नहीं गया है. उसके बाद मामला खुला तो पुलिस ने 10वीं में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र को डीजीपी का फेक ट्विटर एकाउंट बनाने के मामले में हिरासत में ले लिया. हालांकि बाद में डीजीपी के हस्त्क्षेप के बाद कड़ी चेतावनी देते हुए आरोपी को छोड़ दिया गया.
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ये मामला गोरखपुर के गुलरिहा थानाक्षेत्र के भटहट बाजार का है. यहां रहने वाले श्रीचंद जायसवाल की जनरल मर्चेंट की दुकान है. उनका 14 साल का बेटा 10वीं का छात्र है. नाबालिग आरोपी ने बताया कि उसके बड़े भाई को दुबई भेजने के नाम पर महराजगंज जिले के श्यामदेउरवा के रहने वाले शमीउल्लाह अंसारी ने 15 हजार रुपए ले लिए थे. कई बार थाने का चक्कर लगाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही थी. उसने मोबाइल से ट्विटर पर देखा कि डीजीपी के निर्देश पर कार्रवाई हो जाती है. इसी के बाद उसने डीजीपी ओम प्रकाश सिंह के नाम से ट्विटर पर फेक एकाउंट बनाया और गोरखपुर के डीआईजी और महराजगंज के एसपी को कार्रवाई के लिए निर्देशित कर दिया.
नाबालिग आरोपी ने बताया कि ये सब करते हुए उसे डर तो लगा था, लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण उसने ऐसा किया. उसने बताया कि वो अपनी दुकान पर रहता है. वहीं उसके पिता श्रीचंद जायसवाल ने बताया कि ट्विटर के विषय में उन्हें जानकारी नहीं थी. पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं होने के कारण उनके बेटे ने ऐसा कदम उठा लिया. जब पुलिस आई तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई. उन्हें पुलिस लखनऊ ले गई. उसके बाद बयान लेने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
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इस मामले में गोरखपुर जोन के एडीजी दावा शेरपा ने कहा कि साइबर सेल ने इस बारे में पता लगाया. ताज्जुब की बात है कि कम उम्र में लोग इस तरह के काम में क्यों लगते हैं. ये चिंता का विषय है. वो अपना समय और ज्ञान इस तरह की बदमाशी में लगाएं ये सही नहीं है. सभी की इस तरह की समस्याएं रहती हैं. इसका समाधान ये नहीं है कि आप इस तरह का फेक आईडी बनाकर बेजा इस्तेामाल करें. हमारी कोशिश केवल दंड देना ही नहीं सुधार लाना भी है.