नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में हार के बाद से ही बीएसपी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे थे. मायावती और अखिलेश यादव का रिश्ता क्या बना रहेगा? या फिर बुआ और बबुआ का मेल बस चुनाव भर था. गठबंधन को लेकर ख़तरे की घंटी बज चुकी है. मायावती ने यूपी की 11 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. दिल्ली में अपने घर पर बीएसपी नेताओं की बैठक में उन्होंने तैयारी शुरू करने को कहा. पिछले दस सालों में बीएसपी ने कोई उप चुनाव नहीं लड़ा. हाल में हुए लोकसभा चुनाव जीत कर यूपी के दस विधायक अब सांसद बन गए हैं.
लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए मायावती ने यूपी के बीएसपी नेताओं की बैठक बुलाई थी. सवेरे ग्यारह बजे शुरू हुई मीटिंग क़रीब तीन घंटे तक चली. चुनाव में गठबंधन की हार पर लंबी चर्चा हुई. 24 सालों बाद बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था. पार्टी की मुखिया मायावती ने बैठक में ऐसी बात कह दी कि सब हैरान रह गए. मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी से समझौता करने का कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर यादव वोट गठबंधन को नहीं मिले. अगर ऐसा होता तो फिर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल और भाई चुनाव नहीं हारते. मायावती ने आरोप लगाया कि कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं ने हमारे ख़िलाफ़ काम किया. ये न होता तो नतीजे कुछ और बेहतर होते.
बीएसपी की मीटिंग में मायावती ने एक दो नहीं, तीन बार शिवपाल यादव का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि शिवपाल की पार्टी के कारण यादव वोटों में बंटवारा हुआ. अखिलेश यादव और उनकी पार्टी इस बंटवारे को नहीं रोक पाई. बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि शिवपाल यादव कई जगहों पर बीजेपी ते लिए यादव वोट ट्रांसफ़र कराने में कामयाब रहे. बीएसपी सुप्रीमो ने मुसलमानों का शुक्रिया किया. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज ने हमारा भरपूर साथ दिया. मायावती ने यूपी में संगठन को चार हिस्सों में बांट कर तीन की ज़िम्मेदारी मुस्लिम नेताओं को दे दी है. मुनकाद अली, नौशाद और शम्सुद्दीन राइनी को ये काम सौंपा गया है. वैसे बैठक में मायावती ने राइनी को पैसे लेने के आरोप में जम कर लताड़ भी लगाई.
गठबंधन में इस बार बीएसपी को 38, समाजवादी पार्टी को 37 और आरएलडी को 3 सीटें मिली थीं. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. बीएसपी के दस उम्मीदवार चुनाव जीत कर सांसद बन गए. जबकि पिछले आम चुनाव में तो पार्टी की खाता तक नहीं खुला था. समाजवादी पार्टी पांच सीटों पर जीतने में कामयाब रही. पिछली बार भी उसे इतनी ही सीटें मिली थीं. लेकिन आरएलडी का तो इस बार भी खाता नहीं खुला.
बीएसपी नेताओं की बैठक में मायावती ने गठबंधन तोड़ने का एलान तो नहीं किया. लेकिन उनके तेवर बताते हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है. जानकारों की मानें तो अब गठबंधन धर्म निभाने की ज़िम्मेदारी बहन जी ने अखिलेश यादव पर डाल दी है. बीएसपी के एक बड़े मुस्लिम नेता ने बताया कि हो सकता है मायावती चाहती हों कि विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा उन्हें ही बनाया जाए. क्योंकि पीएम का सपना तो सपना ही रहा. यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं.
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