लखनऊ: बीएसपी से बाहर होने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के बड़े राज खोलने शुरू कर दिए हैं. बीएसपी में सदस्यता और टिकट देने के बदले वसूली के जो आरोप पहले से लगते रहे हैं, अब वो कभी उनके दाहिने हाथ रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बाहर ला रहे हैं.


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मेंबरशिप अभियान को लेकर हुआ बड़ा खुलासा


नसीमुद्दीन और मायावती के बीच दो दिन से चल रही वार-पलटवार की जंग में सबसे बड़ा खुलासा बीएसपी के मेंबरशिप अभियान को लेकर हुआ है. बीएसपी के सदस्यता के तौर तरीके को मायावती का वसूली मॉडल बताया जा रहा है.


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यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर तमाम नेता मायावती पर सदस्यता के नाम पर जिस वसूली मॉडल का आरोप लगा रहे थे, उसे अब मायावती के पुराने करीबियों ने सरेआम कर दिया है. बीएसपी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है,  ''किताब का मतलब एक लाख से एक करोड़ तक होता है. किताब बीएसपी का एक कोडवर्ड है.''


बीएसपी में कैसे होती है मेंबरशिप ?


बीएसपी में सदस्यता अभियान किसी रहस्य से कम नहीं है. दावा है कि बीएसपी का सदस्य बनने के लिए मेंबरशिप कूपन खरीदना पड़ता है. 18 साल से ऊपर का कोई भी शख्स मेंबर बन सकता है. चुनाव आयोग के सामने 20 साल से बीएसपी यही बता रही है कि उसने हमेशा इन्हीं कूपनों के जरिए सदस्य बनाए हैं. बीएसपी 50 रु के कूपन के जरिए सदस्य बनाने का दावा करती है. बीएसपी का दावा है कि इन्हीं कूपन के जरिए फंड इकट्ठा करती है.


पिछले बीस साल में उसे कभी बीस हजार से एक रुपए भी ज्यादा का चंदा नहीं मिला. लेकिन परत दर परत खुलासों के बाद हकीकत कुछ औऱ नजर आ रही है. मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बाहर करने की वजह यही किताब जमा न करना बताया तो सिद्दीकी ने कल एक औऱ ऑडियो टेप जारी कर इसे खारिज कर दिया.