लखनऊ: निकाय चुनावों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहली परीक्षा माना जा रहा था और चुनाव परिणामों से साफ है कि वो इस परीक्षा में पहले दर्जे से पास हो गए हैं. यूपी में 16 नगर निगम हैं जिनमें से 14 के मेयर अब बीजेपी के होंगे. दो सीटों पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस हालांकि मेयर पद पर जीत हासिल नहीं कर पाई लेकिन कई जगहों पर उनके पार्षद उम्मीदवारों ने विजय पताका फहराई है.


- अलीगढ़ नगर निगम के नए मेयर होंगे बसपा के मोहम्मद फुरकान जिनको 125682 वोट मिले हैं.
- मेरठ नगर निगम की नई मेयर होंगी बसपा की सुनीता वर्मा जिन्हें 234817 वोट मिले हैं.
- अयोध्या नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के ऋषिकेश जिनको 44642 वोट मिले हैं.
- आगरा नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के नवीन कुमार जैन जिनको 217881 वोट मिले हैं.
- कानपुर नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की प्रमिला पाण्डेय जिनको 396725 वोट मिले हैं.
- गोरखपुर नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के सीताराम जायसवाल जिनको 146187 वोट मिले हैं.
- गाजियाबाद नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की आशा शर्मा जिनको 282793 वोट मिले हैं.
- मथुरा नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के मुकेश जिनको 103046 वोट मिले हैं.
- वाराणसी नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की मृदुला जिनको 192188 वोट मिले हैं.
- इलाहाबाद नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की अभिलाषा गुप्ता जिनको 131297 वोट मिले हैं.
- लखनऊ नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की संयुक्ता भाटिया जिनको 377166 वोट मिले हैं.
- झांसी नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के रामतीर्थ सिंघल जिनको 77090 वोट मिले हैं.
- सहारनपुर नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के संजीव वालिया जिनको 121201 वोट मिले हैं.
- मुरादाबाद नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के विनोद अग्रवाल जिनको 94677 वोट मिले हैं.
- फिरोज़ाबाद नगर निगम की नई मेयर होंगी भाजपा की नूतन राठौर जिनको 98932 वोट मिले हैं.
- बरेली नगर निगम के नए मेयर होंगे भाजपा के उमेश गौतम जिनको 139127 वोट मिले हैं.



बहुजन समाज पार्टी की वापसी


निकाय चुनाव के नतीजों से साफ है कि बहुजन समाज पार्टी ने अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए जम कर मेहनत की है. अलीगढ़ में बसपा ने भाजपा का 22 साल पुराना किला ढहा दिया तो मेरठ भी कब्जाया है. बसपा ने पश्चिम यूपी में दूसरा स्थान कायम रखा तो मध्य और पूर्व यूपी में मत प्रतिशत को बढ़ाकर पार्टी का वजूद मजबूत किया है. पिछले चुनावों की तुलना में बसपा ने वर्ष 2017 के निकाय चुनावों में बड़े शहरों में शानदार प्रदर्शन किया है. पश्चिमी यूपी में नगर निगम के अतिरिक्त नगर पालिका तथा नगर पंचायत के निकायों में भी बसपा को जबरदस्त जीत मिली है.



योगी ने खेली कप्तानी पारी


योगी ने पूरे चुनाव की कमान खुद आगे आकर कप्तान की तरह संभाली. उन्होंने 14 दिनों में 40 सभाएं की. योगी ने 14 नवम्बर को अयोध्या से अपना प्रचार शुरू किया था. योगी से पहले कभी कोई मुख्यमंत्री निकाय चुनाव में प्रचार के लिए नहीं उतरा था. फिरोजाबाद को छोड़कर योगी सभी जगह गए और आक्रामक प्रचार किया. 19 नवम्बर को वो गोरखपुर पहुंच गए जहां करीब 4 दिन रहे.



चुनावी खास


- अयोध्या: हार के बाद रो पड़ीं सपा प्रत्याशी गुलशन बिन्दू, कहा प्रशासन ने हराया
- यूपी निकाय चुनाव: अपने ही गढ़ अमेठी में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका
- यूपी निकाय चुनाव: सीएम योगी के वार्ड से जीती निर्दलीय मुस्लिम महिला
- यूपी निकाय चुनाव: केशव प्रसाद मौर्य के गढ़ कौशाम्बी में बीजेपी की करारी हार



गुजरात चुनाव पर कितना होगा असर?


यूपी की बड़ी जीत ने गुजरात विजय के लिए बीजेपी नेताओं को नए जोश से भर दिया है. बीजेपी पूछ रही है कि जब राहुल अमेठी नहीं जीत पाए तो गुजरात जीतने का सपना भी कैसे देख सकते हैं? राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी की गौरीगंज नगरपालिका में भी कांग्रेस हार गई है. यूपी की हवा गुजरात तक जाने की इसलिए भी संभावना लग रही है क्योंकि जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद ये पहला बड़ा चुनाव है. हालांकि कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि गुजरात के चुनाव में यूपी के निकाय चुनाव नतीजों का कोई असर नहीं पड़ेगा.



पीएम मोदी की जीत है या फिर सीएम योगी की?


विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में बीजेपी की कमान योगी आदित्यनाथ ने संभाली और निकाय चुनाव के तौर पर वो अपनी पहली परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास हुए. यहां सवाल उठ सकता है कि आज यूपी में बीजेपी ने जो ऐतिहासिक जीत हासिल की है, वो पीएम मोदी की नीतियों की जीत है या फिर योगी आदित्यनाथ की ? या फिर जीत का सेहरा दोनों के सिर पर बंधना चाहिए?