लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पहले से ज्यादा खराब हो गई है. समाजवादी पार्टी की सरकार में उनके ही कार्यकर्ता गुंडई करते थे, लेकिन बीजेपी सरकार में पार्टी और हिंदू संगठनों के अराजक तत्व कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इन अराजक तत्वों पर हाथ डालने से कतरा रही है. चाहे वह सहारनपुर के सांसद हों या फिर गोरखपुर के विधायक, इन दोनों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.


राजधानी में प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है क्राइम का ग्राफ


डॉ. मसूद ने कहा, "राजधानी में प्रतिदिन अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, चाहे जघन्य अपराध हो या डकैती और लूटपाट. इसके साथ ही सभी जनपदों से अपराधों की खबरें आ रही हैं, जिससे स्पष्ट है कि अपराधी बेलगाम हैं."


किसानों की कर्जमाफी पर उन्होंने कहा, "मार्च, 2016 तक की कर्जमाफी की घोषणा करना आंकड़ेबाजी के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि अगले वर्ष का फसली ऋण उसी दशा में मिलता है, जबकि पहला ऋण अदा कर दिया गया हो. इसलिए 2016 का ऋण पहले ही अदा किया जा चुका है. हमारी मांग है कि किसानों के वर्ष 2017 तक के सभी कर्ज माफ होने चाहिए."


आरएलडी नेता ने कहा, "फसल बीमा का पैसा और फसलों का मुआवजा और गन्ने का बकाया ब्याज का भुगतान सरकार को तत्काल करना चाहिए. इसके अलावा समय पर नहरों में पानी तथा खाद बीज की व्यवस्था भी सुनिश्चित हो जानी चाहिए. बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों की सुरक्षा की व्यवस्था स्थाई रूप से की जानी चाहिए."


गरीब को लगभग 700 रुपये में मिल रही है गैस


पार्टी महासचिव शिव करन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो गरीबों को उज्‍जवला योजना के अंर्तगत गैस कनेक्शन दिए गए हैं, उनको भी सब्सिडी दी जाए, क्योंकि आम जनता को गैस सब्सिडी काटकर 436 रुपये में पड़ती है, जबकि गरीब को लगभग 700 रुपये में गैस मिल रही है, जो उनके साथ अन्याय है.


उन्होंने कहा, "विकास प्राधिकरणों, नगर पालिका, जिला परिषद, नगर निगम नगर पंचायत में आरक्षण के अनुसार पूर्व सैनिकों को आवंटित नहीं हो पा रहे हैं. पूर्व सैनिकों को पुरानी आवंटित दुकानों में किराया दो से तीन गुना तक बढ़ाया जा रहा है और आम जनता को आवंटित दुकानों का किराया 180 रुपये के स्थान पर तीस वर्ष बाद भी 250 रुपया लिया जा रहा है.


170 रुपये किराए वाली दुकान का किराया 600 रुपये


शिव करन ने कहा, "पूर्व सैनिकों की दुकानों में 170 रुपये किराए वाली दुकान का किराया 600 रुपये लिया जा रहा है. सैनिकों को आवंटित दुकाने अगली पीढ़ी के लिए नहीं होती जबकि नगर पालिका द्वारा बनाई गई आम जनता को दी गई दुकानें पुस्तैनी हो जाती हैं."


उन्होंने कहा, "राशन की दुकानों या अन्य एजेंसियों में भी भूतपूर्व सैनिकों को कोटे के अनुसार, उनका हक नहीं मिलता है. पेट्रोल की घटतौली के प्रकरण में जो लोग रंगे हाथ पकड़े गए हैं, उनके लाइसेंस तत्काल रद्द किए जाएं. संदेह वाले पेट्रोल पंपों की मशीनों को बदलकर टेंपर प्रूफ मशीनें लगाई जाएं, जिससे उपभोक्ता को सही नाप-तौल से पेट्रोल मिल सके."