सहारनपुर: दिल्ली से 180 किलोमीटर दूर पश्चिमी यूपी का सहारनपुर जिला पिछले बीस दिन से सुर्खियों में है. दलितों और राजपूतों के बीच हुई हिंसा के बाद फैले तनाव को काबू करने के लिए प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी. इसके बाद सहारनपुर में फिलहाल बवाल शांत है, लेकिन दोनों समुदायों के बीच अविश्वास की गहरी खाई बन चुकी है.
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दलितों का कहना है कि वो डरे हुए हैं तो गांव के ठाकुर कहते हैं कि वो भी दहशत में हैं. ठाकुरों का कहना है कि सारे बवाल की जड़ भीम आर्मी है. गांव के लोग रोजमर्रा के काम डर के साए में निपटाते हैं. डर उन्हीं लोगों से जिनके साथ सालों से इनकी कई पीढ़ियां एक साथ रहती आई हैं.
भीम आर्मी हो या राजनीतिक दल, सभी ने इस गांव का माहौल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब प्रशासन ने नेताओं को इस गांव से दूर रहने की हिदायत दी है. प्रशासन गांव के लोगों की मीटिंग करवा रहा है और आपसी भाईचारे को बहाल करने की कोशिश हो रही है.
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राज्य के गृह सचिव, एडीजी और नए डीएम-एसएसपी समेत बड़े अफसर शब्बीरपुर गांव का दौरा कर चुके हैं. लोगों को समझाने की कोशिश हुई है, लेकिन प्रशासन को भी लगता है कि हिंसा ने इस गांव को जो गहरे जख्म दिए हैं, उन्हें भरने में अभी वक्त लगेगा.
पांच मई, नौ मई औऱ फिर 23 मई की हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारियों को लेकर भी गांव वाले प्रशासन से नाराज हैं. यूपी के गृह सचिव बार-बार भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी बेकसूर पर कार्रवाई नहीं होगी.