इलाहाबाद: यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम परिवार में छिड़ी आर-पार की लड़ाई से संगम नगरी इलाहाबाद के पार्टी कार्यकर्ता बेहद निराश हैं. युवा कार्यकर्ताओं ने जहां अखिलेश यादव का दामन थामने का फैसला कर लिया है, वहीं पुराने कार्यकर्ता अभी पशोपेश में हैं और वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अहम की लड़ाई में आखिर वह किसके साथ जाएं.
कार्यकर्ताओं ने फिलहाल ओढ़ ली खामोशी की चादर
इलाहाबाद के ज़्यादातर कार्यकर्ताओं ने फिलहाल खामोशी की चादर ओढ़ ली है और सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बना ली है. आम दिनों में इलाहाबाद में समाजवादी पार्टी का जो दफ्तर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों की भीड़ से पूरे दिन गुलजार रहता था, पिछले तीन दिनों से वहां सन्नाटा पसरा हुआ है.
कार्यकर्ताओं और समर्थकों को छोड़िये, बड़े पदाधिकारी भी दफ्तर नहीं आ रहे हैं. फोन पर बात करने पर ज़्यादातर नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बताया कि वह घर पर ही पार्टी के घमासान को टीवी पर देख रहे हैं.
बड़े नेताओं में मचे घमासान में आखिर किस तरफ जाएं ?
चुनाव की बेला में कुछ दिनों पहले तक इलाहाबाद का पार्टी दफ्तर पूरे दिन लोगों की भीड़ से गुलजार रहता था, लेकिन पिछले तीन चार दिनों से यहाँ सन्नाटा पसरा रहता है. पूरे दिन में दस-बीस कार्यकर्ता ही वहां पहुँचते हैं.
पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह खुद दुविधा में हैं कि बड़े नेताओं में मची घमासान में आखिर वह किस तरफ जाएं. हालांकि ज़्यादातर नेताओं व कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि चुनाव का एलान होने से पहले सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाएगा, क्योंकि खुद मुलायम और अखिलेश को भी अंदाजा होगा कि उनकी इस लड़ाई से पार्टी को नुकसान हो रहा है.
घमासान का पार्टी को ज़बरदस्त नुकसान
इलाहाबाद के ज़्यादातर कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह किसी नेता के नहीं बल्कि पार्टी के सिपाही हैं, लेकिन जब पार्टी चलाने वाले आपस में ही लड़ रहे हैं तो वह दफ्तर जाकर क्या करें. कार्यकर्ताओं का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले हुए घमासान का पार्टी को ज़बरदस्त नुकसान हो रहा है. हालांकि ज़्यादातर को यह उम्मीद है कि नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव वक्त रहते सब कुछ ठीक कर देंगे.