लखनऊ: योगी सरकार के आने के बाद बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई की खूब चर्चा है. लगातार अवैध बूचड़खानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के बीच योगी सरकार ने साफ किया है कि यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का फैसला कानूनी राय लेने के बाद ही किया जाएगा.
मेरठ से लेकर आगरा, कानपुर, हाथरस, बिजनौर और अलीगढ़ तक. उत्तर प्रदेश में कत्लखानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है. वजह है चुनाव में बूचड़खानों को बंद करने का वादा.
सरकार बनते ही पुलिस वालों ने इस बयान को मानो आदेश समझ लिया और एक्शन शुरू हो गया. पुलिस लगातार बूचड़खानों पर ताले लगा रही है. लेकिन कल शाम सरकार ने साफ किया है कि उन्हीं बूचड़खानों पर डंडा चलेगा जो अवैध होंगे.
सरकार ने ये भी साफ किया है कि यांत्रिक कत्लखानों पर कार्रवाई करने से पहले कानूनी सलाह ली जाएगी यानी तत्काल सभी कत्लखानों पर कार्रवाई नहीं होने जा रही है. फिर सवाल ये है कि बीजेपी अवैध के साथ सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का वादा करके सरकार में आई उस वादे का क्या ?
यूपी में करीब चालीस यांत्रिक बूचड़खाने हैं जबकि 316 अवैध बूचड़खाने हैं. माना जाता है कि बूचड़खानों पर कार्रवाई से साढ़े 11 हजार करोड़ सालाना का नुकसान यूपी सरकार को होगा. उन बूचड़खानों को अवैध कहा जाता है जिनके पास नगर निगम के लाइसेंस से लेकर प्रदूषण विभाग और पर्यावरण विभाग के जरूरी कागजात न हो. अब तक बूचड़खानों के खिलाफ जो कार्रवाई हुई वो एनजीटी का आदेश था.