नई दिल्ली: पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बीच पांचों राज्यों में सट्टा बाजारप को लेकर हर कोई कयास लगा रहा है. इन कयासों के बीच सट्टा बाजार में भी माहौल गर्म है. सट्टा हाजार का नेटवर्क बेहद मजबूत और बड़ा है.
ये नेटवर्क कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया कि ये खेल इंटरनेशनल स्तर तक फैला है. सट्टा बाजार को समझने और अंदर की बात जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने खुद सट्टेबाजों से जाना है कि आखिर ये खेल पूरे देश में चलता कैसे है.
कैसे सट्टा बाजार के जरिए हर पार्टी की सीटें कैसे तय की जाती हैं और सट्टा बाजार का रेट कौन डिसाइड करता है ? हमरी टीम ने जब सट्टे के इस खेल से जुड़े लोगों से बात की तो पता चला कि ये खेल बाहर से जितना आसान लगता है अंदर से उतना ही पेंचीदा है.
कैसे तय होता पार्टी का रेट और जीत हार ?
चुनाव में सट्टेबाजार हर चुनवी पार्टी के लिए दो नंबर देते हैं जो सट्टा बाजार के अनुमान के मुताबिक होता है. जैसे इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 180-185 नंबर दिया गया है 180 का मतलब है NO और 185 का मतलब है YES.
मान लीजिये अगर कोई शख्स 180 पर 10 हजार रुपये लगाता है तो बीजेपी को 180 से कम सीटें आने पर उसे दोगुना यानी 20 हजार रुपये मिलेंगे. लेकिन अगर सीटें 180 या इससे ज्यादा आईं तो रकम डूबी समझो.
इसी तरह अगर कोई शख्स 185 पर दांव लगाता है तो 185 या उससे ज्यादा सीटें मिलने पर उसे दोगुना पैसे मिलते हैं लेकिन उससे कम रहने पर पैसा डूब जाता है. इसी तरह सपा औए कांग्रेस के गठबंधन पर सट्टाबाजार में 125-130 सीटे लगाया गया है. ऐसे ही सपा पर 70-75 अनुमान लगाया गया है.
इसी तरह से हर पार्टी के लिए यही समीकरण चलता है जो लोग जीतते हैं उन्हें दोगुना पैसे मिलते हैं और जो हारते हैं उनके सारे पैसे डूब जाते हैं. इसी तरह पंजाब में सट्टा बिजनेस में कांग्रेस को बहुमत दिखाई जा रही है.
कैसे काम करता है सट्टे का ये मॉड्यूल?
एक अनुमान के मुताबिक इस विधानसभा चुनाव में 50 हजार करोड़ का सट्टा लग चुका है और ये नेक्सस इंटनैशनल है. इस नेक्सस का टॉप बॉस हिन्दुस्तान के बाहर से काम करता है जो आमतौर पर दुबई या फिर किसी खाड़ी देश में होता है. इसके बाद उनके गुर्गे देश के हर बड़े शहर में होते हैं.
ये गुर्गे हर शहर को अलग अलग इलाकों में बांट देते हैं जहां छोटे बुकी मौजूद होते हैं जिन्हें इस दुनिया में पंटर नाम दिया जाता है. सट्टे से जो पैसा कमाया जाता है वो सभी का मुनाफा काटकर इसी नेटवर्क के जरिए देश से बाहर चला जाता है.