देहरादून: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम जाने वाले भक्तों को अब केदारनाथ धाम में आध्यात्म से जुड़ीं गुफाओं के दर्शन के लिए कीमत चुकानी होगी. प्रदेश सरकार गुफाओं का आधुनिकीकरण करके गुफाओं में सुविधा जुटा रही है. हालांकि, केदारनाथ धाम के संत-समाज और तीर्थ-पुरोहितों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.
गुफाओं में तप करने का लगेगा पैसा
साल 2013 में आई केदारनाथ त्रासदी के बाद से लगातार धाम के पुनर्निर्माण कार्य जारी है. केदारनाथ धाम के आधनिकीकरण पर कार्य चल रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विशेष तौर पर केदारनाथ धाम में हो रहे कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं और कई निर्माण कार्य प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में भी शामिल हैं. केदारनाथ में गरुड़चट्टी सहित कई अन्य गुफाएं हैं, जहां यात्राकाल के छह महीने तक अनेक साधु संत तपस्या करते हैं, लेकिन देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद अब गुफाएं सरकार के अधीन में आ जाएंगी. जिसके बाद साधु-संत से लेकर आम भक्तों सभी को को यहां तपस्या करने के लिए पैसे चुकाने होंगे.
सरकार के फैसले के खिलाफ संत समाज
राज्य सरकार इन गुफाओं का नवीनीकरण कर रही है, गुफाओं को हाईटेक किया जा रहा है और शौचालय सहित हर सुविधा से जोड़ा जा रहा है. अब जो भी भक्त यहां साधना करेगा, उसे किराया देना पड़ेगा. सरकार के इस फैसले का केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और संत समाज इसका विरोध कर रहे हैं.
गरुड़चट्टी को पीएम ने बताया था अपनी तपस्थली
बता दें कि गरुड़चट्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तपस्थली बताया था. 16 और 17 जून, 2013 की आपदा में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक का रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था. उसके पुनर्निर्माण का कार्य अब भी जारी है. 20 अक्तूबर, 2017 को केदारनाथ दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भी गरुड़चट्टी को विकसित करने की बात कही थी.
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