यूपी सेतु निगम के एमडी हटाए गए, चीफ इंजिनियर जेके श्रीवास्तव को चार्ज
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि मित्तल को एमडी के पद से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर दिया गया है. मौर्य के पास लोक निर्माण विभाग भी है. मौर्य ने कहा कि लोक निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता जे के श्रीवास्तव को सेतु निगम का नया एमडी बनाया गया है.
लखनऊ: वाराणसी में फ्लाईओवर का एक हिस्सा गिरने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने आज यूपी सेतु निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल को हटा दिया. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि मित्तल को एमडी के पद से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर दिया गया है.
मौर्य के पास लोक निर्माण विभाग भी है. मौर्य ने कहा कि लोक निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता जे के श्रीवास्तव को सेतु निगम का नया एमडी बनाया गया है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार को फ्लाईओवर गिरने के बाद से ही मित्तल को लेकर चर्चाएं चल रही थीं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनायी थी, जिसे 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया.सेतु निगम 2261 मीटर लंबा पुल 129 करोड़ रुपए की लागत से बना रहा था.
घटना के बाद निलंबित कर दिए गए थे चार अधिकारी
घटना के फौरन बाद सरकार ने निगम के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया था जो वाराणसी में पुल का निर्माण कार्य देख रहे थे.इस बीच वाराणसी में फ्लाईओवर गिरने की घटना को लेकर स्थानीय प्रशासन और निर्माण का ठेका पाने वाली एजेंसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है.
जिला पुलिस ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सेतु निगम ने सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा. जिला पुलिस ने ही सेतु निगम के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर के भारद्वाज ने कहा कि निर्माण स्थल का निरीक्षण करने के दौरान पता चला कि बिल्डर सुरक्षा मानक नहीं अपना रहे थे. उन्होंने ना तो सही से बैरियर लगाये थे और ना ही सर्विस लेन बनायी थी.निगम के अधिकारियों के खिलाफ फरवरी में भी एक एफआईआर दर्ज हुई थी.
निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल ने हालांकि पुलिस के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनके पास वो पांच पत्र हैं जो पुलिस अधीक्षक (यातायात) को नवंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच लिखे गये, जिनमें यातायात नियमन करने और क्षेत्र से अतिक्रमण हटवाने के लिए कहा गया था.
एजेंसी 24 घंटे काम कर रही थी
मित्तल ने कहा, 'स्थानीय प्रशासन के साथ हुई बैठकों में हमने लगातार यातायात को लेकर अपनी चिन्ता व्यक्त की है और इसे बैठक की कार्यवाही के मिनट्स से देखा जा सकता है.' उन्होंने कहा कि पहली बात तो ये कि उस क्षेत्र में यातायात चलने ही नहीं देना चाहिए था. जिले के सभी अधिकारियों को पता था कि वहां यातायात कैसा है और जाम की समस्या कैसी है. परियोजना की निगरानी हर स्तर पर की जा रही थी क्योंकि एजेंसी 24 घंटे काम कर रही थी.
मित्तल ने कहा देखने से लगाता है बेयरिंग फेल्योर के कारण हुआ हादसा
यह पूछने पर कि दुर्घटना कैसे हुई, मित्तल ने कहा कि लगता है कि 'बेयरिंग फेल्योर' के कारण ऐसा हुआ. कुछ दिन पहले आये आंधी तूफान में संभवत: बेयरिंग को नुकसान पहुंचा. तूफान के बाद स्थानीय स्तर पर इसे देखा जाना चाहिए था.
पुलिस ने कहा कि निर्माण कार्य कर रही एजेंसी को यातायात नियमन के लिए अपना स्टाफ लगाना चाहिए था और अगर वे ऐसा नहीं कर सकते थे तो पुलिस से इसके लिए आग्रह करना चाहिए था. मित्तल ने कहा कि कास्टिंग के काम के समय एजेंसी का स्टाफ लगाया गया था जो फरवरी तक था और उन्हें इस बात का पता नहीं कि कब और किसके आदेश से उस स्टाफ को हटाया गया.
निर्माण कार्य में लगे स्टाफ के खिलाफ सिगरा थाने में दर्ज की गई है एफआईआर
फ्लाईओवर गिरने के बाद पुलिस ने निगम के अधिकारियों, पर्यवेक्षण अधिकारियों, ठेकेदारों और निर्माण कार्य में लगे स्टाफ के खिलाफ सिगरा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है.मित्तल ने बताया कि वाराणसी हादसे के बाद उन्होंने सभी जोन में 11 टीमें बनायी हैं. ये टीमें हर पुल, फ्लाईओवर और रोड ओवरब्रिज की सुरक्षा जांच करेंगी और गुणवत्ता के मानकों पर उन्हें परखेंगी. इसके बाद पांच दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी.
इस बीच यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव एस एस निरंजन ने कहा कि प्रशासनिक एवं पुलिस चूक सहित हादसे के सभी पहलुओं की जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए.