इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की रोक के बावजूद बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित एक मकान के ऊपरी हिस्से को गिराए जाने की कार्रवाई किये जाने पर कोर्ट में तलब किये गए कमिश्नर, डीएम, एसएसपी, मंदिर के सीईओ व अन्य पुलिस अफसरों को जमकर फटकार लगाई और उन्हें ध्वस्तीकरण की कार्रवाई फ़ौरन रोकने के निर्देश दिए.

अदालत ने सख्त लहजे में कहा है कि कोर्ट से कोई आदेश हुए बिना अब मकान न गिराया जाए. अगर आगे ऐसा होता है तो संबंधित अफसरों को अदालत की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा.

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कोर्ट ने डीएम योगेश्वर राम मिश्र व याची मुन्नी तिवारी के हलफनामे में सामने आए फर्क को दूर करने के लिए वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट जज को निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने उनसे तीन जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. इस याचिका पर अगली सुनवाई अब नौ जुलाई को होगी.

यह आदेश जस्टिस जे.जे. मुनीर की सिंगल बेंच ने श्रीमती मुन्नी तिवारी की अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. अदालत ने बृहस्पतिवार को तलब सभी अफसरों की अगली सुनवाई पर हाजिरी माफ कर दी है.

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गौरतलब है कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के आसपास के कई मकानों को यूपी सरकार ने मंदिर के सुंदरीकरण व जनसुविधाएं बढ़ाने के लिए खरीद लिया है. इन दिनों इन मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जा रही है. इन मकानों में बरसों से रह रहे किराएदारों, दुकानदारों ने हाईकोर्ट की शरण ली.

कोर्ट ने याचिका पर जवाब मांगते हुए एक मई को यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था. इसके बावजूद मंदिर प्रशासन ने याची की दूकान के ऊपर एक कम्पनी की आफिस ढहा दी. जिससे याची की दूकान की छत टूट गयी और मलबा दुकान के अंदर गिर गया.

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जिस पर अवमानना याचिका दाखिल कर एक दर्जन अधिकारियों को दण्डित करने की मांग की. कोर्ट ने इस पर वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल, डीएम योगेश्वर राम मिश्र, एसएसपी आर के भरद्वाज, मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, एएसपी ज्ञानवापी शैलेंद्रराय, सीओ नेहा तिवारी, एसएचओ चौक राहुल शुक्ल समेत कई लोगों को तलब करते हुए कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया.

बृहस्पतिवार को सभी कोर्ट में हाजिर हुए. कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए अफसरों को जमकर फटकार लगाई और कहा कि अदालत के आदेश की अवहेलना करने वाला जेल भी जा सकता है.

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डीएम योगेश्वर राम ने कोर्ट को बताया कि तेरह जून को वह खुद मौके पर गए थे. उन्होंने देखा कि ध्वस्तीकरण नहीं हो रहा है. इस पर याची मुन्नी तिवारी ने मकान का हिस्सा गिराए जाने की फोटो दिखाई. हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज को हकीकत का पता लगाकर तीन जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.