वाराणसी: वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में पुरुष और महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी है. नए ड्रेस कोड के मुताबिक बाबा के स्पर्श दर्शन करने के लिए पुरुषों को धोती कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहननी होगी. पैंट, शर्ट, जीन्स पहने लोग दूर से ही दर्शन कर सकेंगे मतलब उन्हें शिवलिंग को छूकर दर्शन करने का मौका नहीं मिलेगा.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के बाद से मध्यान्ह भोग दिन में 11:00 बजे तक श्रद्धालु स्पर्श दर्शन करेंगे. वाराणसी के कमिश्नर के साथ काशी विद्वत परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया. जो पुरुष धोती कुर्ता और महिला साड़ी पहनी रहेंगे उन्हें ही स्पर्श दर्शन कराया जाएगा पैंट शर्ट जींस टीशर्ट सूट टाई कोर्ट आदि पहनावे पर सिर्फ दर्शन की सुविधा दी जाएगी.
काशी विश्वनाथ के वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1780 में करवाया गया था. इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने से इसके शिखर का निर्माण करवाया था. काशी को भगवान शिव की राजधानी कहा जाता है. कहते हैं इसे खुद शिव ने चुना और वो यहां साक्षात मां पार्वती के साथ निवास करते हैं. सनातन परंपरा में शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं- जहां शिव का निवास माना जाता है.
बनारस के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में शिवरात्रि पर आस्था का जन सैलाब उमड़ता है. सावन भर इनके दर्शन-पूजन और अभिषेक के लिए देश ही नहीं दुनिया भर के लोग काशी आते हैं. यहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं. यह अद्भुत है. ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है. दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं. दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं. इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है. मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं. वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं. बाबा को इसीलिए तारकेश्वर भी कहते हैं.
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