वाराणसी: उत्तर प्रदेश में वाराणसी में कल पूल गिरने से अब तक 18 लोगों की मौत हो गई है. बिहार के छपरा के रहने वाले राम बहादुर सिंह अपने बेटे और पत्नी के साथ कार में जा रहे थे. जब पुल गिरा तो उनकी पत्नी कार से फिसल कर बाहर आ गईं लेकिन उनके पती और बेटा दब कर मर गए. फिलहाल कुमकुम सिंह नाम की महिला का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
16 साल के बेटे वैभव ने इसी साल दी थी दसवीं की परीक्षा
दरअसल कुमकुम सिंह के पती राम बहादुर सिंह बनारस में सिंडिकेट बैंक में काम करते थे और बनारस में ही अपने परिवार के साथ रहते थे. 16 साल के बेटे वैभव ने इसी साल दसवीं की परीक्षा दी थी. इंजीनियर बनने का ख़्वाब देख रहा वैभव कोटा में रहकर तैयारी कर रहा था, उसकी पढ़ाई में मदद करने और खाने-पीने का ध्यान रखने के लिए उसकी मां भी उसके साथ कोटा में ही रह रही थीं.
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कुछ दिन पहले ही वैभव अपनी मां के साथ बनारस अपने घर आया था और जिस वक़्त ये दर्दनाक हादसा हुआ उस वक्त वैभव के पिता रामबहादुर सिंह वैभव और अपनी पत्नी को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहे थे. लेकिन स्टेशन से चंद कदम पहले ही पिता-पुत्र इस भयावह हादसे का शिकार हो गए, हादसे में वैभव की मां कुमकुम सिंह बुरी तरह से घायल हुई हैं.
एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत
फ्लाइओवर हादसे ने वाराणसी के पास ही गाजीपुर के एक परिवार की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई. गाजीपुर के सहेड़ी गांव के खुशहाल राम बेटे संजय के इलाज के लिए बोलेरो गाड़ी से वाराणसी आए थे. खुशहाल राम के साथ उनके दूसरे बेटे शिवबचन राम भी थे. साथ में ड्राइवर वीरेंद्र भी था. संजय का इलाज वाराणसी के कैंसर अस्पताल में चल रहा था. संजय की कीमोथेरेपी चल रही थी. कीमोथेरेपी के बाद ये लोग गांव लौट रहे थे. लेकिन उनकी गाड़ी पर फ्लाइओवर का बीम गिरा और इस हादसे में खुशहाल राम और उनके बेटों संजय और शिवबचन की मौत हो गई.
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मृतकों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा
बता दें कि कल शाम वाराणसी में कैंट स्टेशन के पास फ्लाईओवर का स्लैब गाड़ियों पर गिर गया. ये फ्लाइओवर अभी बन ही रहा था और इसके नीचे से ट्रैफिक गुजर रहा था. सीएम योगी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.
वाराणसी हादसाः फिसलकर कार से बाहर गिर गई महिला, लेकिन नहीं बच पाए पति और बेटा
एबीपी न्यूज़
Updated at:
16 May 2018 01:58 PM (IST)
इंजीनियर बनने का ख़्वाब देख रहा वैभव कोटा में रहकर तैयारी कर रहा था, उसकी पढ़ाई में मदद करने और खाने-पीने का ध्यान रखने के लिए उसकी मां भी उसके साथ कोटा में ही रह रही थीं.
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