वाराणसी: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ऐन वक्त पर वह दांव चला है, जिसके लिए उनके पिता मुलायम सिंह जाने जाते थे. अखिलेश यादव ने सियासी चरखा दांव चलते हुए वाराणसी से बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को अपना आधिकारिक प्रत्याशी घोषित कर दिया है. इससे पहले प्रत्याशी घोषित हुई शालिनी यादव अब डमी कैंडिडेट के रूप में रहेंगी और उन्हें नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि तक अपना नाम वापस लेना पड़ सकता है.
वाराणसी के सियासी माहौल में पिछले दो दिनों से चर्चा चल रही थी कि तेज बहादुर यादव को सपा-बसपा गठबंधन का उम्मीदवार बनाया जा सकता है. इसको अमली जामा पहनाते हुए सपा के पूर्व राज्यमंत्री मनोज राय धूपचंडी तेज बहादुर को लेकर नामांकन स्थल पर पहुंच गए. वहां मौजूद शालिनी यादव के समर्थक इन दोनों को देखकर आवाक रह गए. इसके थोड़ी देर बाद तेज बहादुर के प्रतिनिधि रणधीर यादव ने इस बात की घोषणा कर दी कि तेज बहादुर अब सपा के सिंबल पर चुनाव उन्होंने बताया कि तेज बहादुर के नामांकन में कोई दिक्कत आती है तो शालिनी यादव को सेकण्ड ऑप्शन के रूप में रखा गया है.
सोमवार को जिला मुख्यालय पर हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा जैसे ही शालिनी यादव नामांकन करने के लिए कलक्ट्रेट पहुंचीं. उसी समय मनोज राय धूपचंडी बीएसएफ के बर्खास्त जवान तर्ज बहादुर के साथ नामांकन का एक और सेट दाखिल कराने पहुंचे. दोनों ही कैंडिडेट्स ने अपने पाने नामांकन पर्चे दाखिल किए. सपा के इस दांव को पीएम मोदी पर सीधे हमले की तरह देखा जा रहा है. सपा अब तेज बहादुर की बीएसएफ से बर्खास्तगी को बड़ा मुद्दा बनाकर पीएम मोदी के राष्ट्रवाद के नारे को कठघरे में खड़ा करने की योजना बना रही है.
इसके थोड़ी देर बाद तेज बहादुर यादव मनोज राय धूपचंडी के साथ नजर आये तो तो उनके गले में समाजवादी पार्टी का दुपट्टा था,. जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो, उन्होंने भी सपा का सिंबल उन्हें दिए जाने की पुष्टि कर दी. इस मामले में नामांकन करने कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सपा से कौन चुनाव लड़ रहा है. उन्होंने पूरे देश में कांग्रेस बनाम बीजेपी के मुद्दे पर चुनाव होने की बात कही.