वाराणसी : वाराणसी फ्लाइऑवर हादसे में ढहे भाग के लोहे के बीम, सीमेंट, कंक्रीट और अन्य निर्माण सामग्रियों के नमूनों को 'गुणवत्ता और मानक परीक्षण' के लिए उत्तराखंड के आईआईटी-रुड़की भेजा गया है. एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार की तीन सदस्यीय टीम की इस निर्माणाधीन फ्लाईओवर के दो बीम के ढहने की जांच गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रही.


हादसे में हुई थी 18 लोगों की मौत
मंगलवार शाम को हुए इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई थी और छह से अधिक लोग घायल हो गए थे.कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह की अगुवाई में एक टीम ने भी कैंट रेलवे स्टेशन के सामने घटनास्थल का दौरा किया और प्रत्यक्षदर्शियों से मुलाकात की. इसके साथ ही टीम ने उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉर्प और जिला प्रशासन के अधिकारियों से विस्तृत विचार-विमर्श किया और उसके बाद घटनास्थल की ड्रोन से फोटोग्राफी करवाई.


यूपी पुलिस का कहना है कि उसने करीब 5 चिट्ठियां यूपी राज्य सेतु निगम को लिखी थीं
टीम ने निलंबित अधिकारियों के.आर. सूदन, राजेश कुमार और मूलचंद से भी पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए. बता दें कि वाराणसी में हुए दर्दनाक हादसे के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. यूपी पुलिस का कहना है कि उसने करीब 5 चिट्ठियां यूपी राज्य सेतु निगम को लिखी थीं लेकिन फिर भी निर्माण कार्य के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया.


अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक आईजी दीपक रतन ने कहा,"हमने नवंबर तक सेतु निगम को 5 बार चिट्ठी लिखी थी. इन चिट्ठियों में कहा गया था कि निर्माण के वक्त ट्रैफिक का ध्यान रखा जाए. जब वे लोग निर्माण कार्य कर रहे हों तो अपने लोगों को वहां तैनात करें ताकि ट्रैफिक नियमों का पालन हो सके. ये लोग पुलिस की भी सहायता ले सकते हैं. हमने बार-बार कहा लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया."


एबीपी न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि 19 फरवरी को सिगरा पुलिस थाने में वाराणसी के एसपी ट्रैफिक सुरेश चंद रावत ने उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक और सहायक अभियंता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.


बिना यातायात रोके किए जाते थे पुल के काम
दरअसल कभी सड़क पर सरिया और मिट्टी का ढेर होता तो कभी तारों का जाल. इसके कारण सड़क पर जाम लगा रहता था. बिना यातायात रोके ही काम किए जाते थे. सेतु निगम की इन हरकतों पर एसपी ट्रैफिक की नजर लगातार बनी हुई थी.उन्होंने कई बार जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान से भी इस बात को कहा था. पुलिस ने सेतु निगम को चिट्ठियां भी लिखी थीं लेकिन सेतु निगम को जैसे किसी का कोई डर ही नहीं था.