वाराणसी: वाराणसी में 12 नवंबर को देव दीपावली के दिन दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की तरफ से होने वाली महाआरती नहीं की जाएगी. नित्य संध्या गंगा आरती की तरह सामान्य तरीके से आरती की जाएगी. गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष प्रशांत मिश्रा ने बताया जिला प्रशासन की तरफ से सहयोग न मिलने के कारण यह फैसला लिया गया है.
प्रशांत मिश्रा ने कहा कि देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस अद्भुत नजारे को देखने वाराणसी आते हैं. पर्यटन को नूतन आभा देने वाले इस महाआरती को रोके जाने से पर्यटकों को निराशा होगी. जिला प्रशासन की तरफ से पीपे के मंच की अनुमति नहीं देने के कारण महा आरती कैंसिल करना पड़ा है. हर वर्ष गंगा सेवा निधि की तरफ से 6 पीपे पर देव दीपावली के भव्य मंच को बनाया जाता है.
गंगा सेवा निधि की तरफ से हमेशा की तरह 6 पीपे पर मंच बनाये जाने जे लिए अनुमति मांगी गई थी. जिला प्रशासन से इजाजत ना मिलने के बाद गंगा सेवा निधि की कोर कमेटी के आपात मीटिंग की जिसमें देव दीपावली के दिन होने वाली महा आरती नहीं करने का फैसला लिया गया.
गंगा सेवा निधि के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा की जिला प्रशासन की तानाशाही नीति के कारण कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली के दिन वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती नहीं की जाएगी.
1991 से होती आई है महाआरती
विगत 1991 से इस स्थान पर मां गंगा की भव्य आरती की जाती है. पिछले दो दशकों से देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों की याद में पूरे कार्तिक माह आकाश दीप जलाए जाते हैं. इसी क्रम में दशाश्वमेघ घाट पर इंडिया गेट का मॉडल बनाकर शहीद अमर जवान ज्योति जलायी जाती हैं इस अमर शहीद जवान ज्योति पर सेना के तीनों टुकड़ियों के वाराणसी प्रमुख पुष्प चक्र चढ़ा कर सलामी देते हैं.
39 जीटीसी (गोरखा ट्रेनिग सेंटर) के जवान बैंड पर राष्ट्रगान बजाकर शहीद जवानों को सलामी देते हैं इसके साथ ही शहीदों की शहादत को स्मरण करते हुए उनके परिजनों को भगीरथ शौर्य सम्मान देकर उनका अभिनंदन किया जाता है.
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