पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर, ये है वजह
डब्लूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है. हालांकि वाराणसी के पर्यावरण कार्यकर्ता काफी समय पहले से आंकड़े जारी कर इस स्थिति के बारे में बता रहे थे.
वाराणसी: डब्लूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है. हालांकि वाराणसी के पर्यावरण कार्यकर्ता काफी समय पहले से आंकड़े जारी कर इस स्थिति के बारे में बता रहे थे. क्लाइमेट एजेंडा की चीफ एक्टिविस्ट एकता शेखर के मुताबिक़ वाराणसी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के दो मुख्य कारण हैं. उनका कहना है कि वारणसी में हो रहे विकास कार्य बड़े ही बेतरतीब ढंग से किए जा रहे हैं. जहां कहीं भी सिविल कंस्ट्रक्शन चल रहा है. कंस्ट्रक्शन साइट्स पर पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
विदेशों और भारत के बड़े शहरों में होने वाले विकास कार्यों का हवाला देते हुए एकता ने कहा कि जहां कहीं भी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, वहां का एरिया चरों तरफ से ढंका हुआ होना चाहिए. उनका कहना है कि ढंके होने से कंस्ट्रक्शन की धूल उड़कर हवा में नहीं जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि सिविल कंस्ट्रक्शन साईट पर रोजाना काम शुरू होने से पहले उस इलाके में पानी छिड़का जाना चाहिए ताकि धूल न उड़े.
वाराणसी में सिविल कंस्ट्रक्शन का काम बेतरतीब ढंग से होने के चलते ट्रैफिक भी प्रभावित होता है. इसके चलते ट्रैफिक जाम लगता है. इससे गाड़ियों का धुआं भी प्रदूषण का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि इस मामले में डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को ध्यान देना होगा कि कंस्ट्रक्शन साईट के आसपास से कम से कम ट्रैफिक गुजरे.
एकता शेखर कहती हैं कि वाराणसी में प्रदूषण का कारण रीजनल फैक्टर भी है. उनके मुताबिक़ वाराणसी के पड़ोसी जिले सोनभद्र में कई पॉवर प्लांट्स हैं. ये देश भर के बिजली के उत्पादन में 15 फीसदी का योगदान देते हैं. इन पॉवर प्लांट्स से हर साल लगभग डेढ़ टन पारा हवा में घुल जाता है. साल के लगभग छह महीने हवा का रुख सोनभद्र से वाराणसी की तरफ होता है. ऐसे में वाराणसी और आसपास की हवा को प्रदूषित होने से नहीं रोका जा सकता. बता दें कि एक सर्वे में इन पॉवर प्लांट्स के आसपास रहने वालों के बालों और खून में भी पारे के अंश पाए गए थे. इससे पर्यावरण पॉल्यूशन के भयावह नतीजों का अंदाजा लगाया जा सकता है.
क्लाइमेट एजेंडा ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि दुनिया भर में होने वाली 70 लाख मौतों में ज्यादातर मौतें भारत के इन चुनिंदा शहरों में ही हो रही हैं. ऐसे में अब यह एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है. अब समय आ गया है कि देश के अन्दर एयर क्वालिटी मोनिटरिंग सिस्टम को ट्रांसपेरेंट बनाया जाए.
पॉल्यूशन कण्ट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर अनिल कुमार सिंह भी मानते हैं कि वाराणसी में पॉल्यूशन का स्तर बढ़ने का कारण सिविल कंस्ट्रक्शन और ट्रैफिक कंजेशन है. उन्होंने बुधवार का पॉल्यूशन का आंकडा साझा किया. उन्होंने बताया कि अर्दली बाजार में लगे ऑटोमेटिक सेंटर पर पीएम 10 मानक 100 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से लगभग दोगुना से अधिक रिकॉर्ड हुआ. जबकि पीएम 2.5 में स्टैण्डर्ड 60 माइक्रोग्राम की जगह 78 से 90 के बीच रिकॉर्ड हुआ है. यह भी खतरनाक लेवल पर है. अनिल कुमार सिंह ने डब्ल्यूएचओ के रिपोर्ट की जानकारी होने की बात तो कही लेकिन डिटेल न पता होने की बात कही. उन्होंने बताया कि वाराणसी का पॉल्यूशन कण्ट्रोल यूनिट पॉल्यूशन के इस खतरनाक लेवल को कण्ट्रोल करने के लिए बड़े एक्शन प्लान पर काम कर रहा है.