वाराणसी में है एक अनोखा मंदिर, जहां होती है अविभाजित भारत के मानचित्र की पूजा
मानचित्र की एक दिलचस्प विशेषता यह है कि इसमें करीब 450 पर्वत श्रृंखलाओं एवं चोटियों, मैदानों, जलाशयों, नदियों, महासागरों और पठारों समेत कई भौगोलिक ढांचों का विस्तृत नक्शा उपलब्ध है और इनकी ऊंचाई एवं गहराई उनके साथ-साथ अंकित है.
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वाराणसी: प्राचीन शहर वाराणसी में एक अनोखा ‘भारत माता मंदिर’ है जिसके संगमरमर पर अविभाजित भारत का नक्शा बना हुआ है. दुनियाभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले इस शहर में स्थित यह मंदिर अक्सर श्रद्धालुओं की नजर से बच जाता है लेकिन यह विदेशी पर्यटकों का एक पसंदीदा स्थल है जो इस आध्यात्मिक शहर को देखने अक्सर आते हैं.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित इस मंदिर का निर्माण बाबु शिव प्रसाद गुप्ता ने 1918 से 1924 के बीच कराया था और इसका उद्घाटन 25 अक्टूबर,1936 को महात्मा गांधी ने किया था.
मंदिर भवन के मध्य में मकराना संगमरमर पर अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा (अब म्यामां) और सेलोन (अब श्रीलंका) समेत अविभाजित भारत का एक मानत्रिच है.
मानचित्र की एक दिलचस्प विशेषता यह है कि इसमें करीब 450 पर्वत श्रृंखलाओं एवं चोटियों, मैदानों, जलाशयों, नदियों, महासागरों और पठारों समेत कई भौगोलिक ढांचों का विस्तृत नक्शा उपलब्ध है और इनकी ऊंचाई एवं गहराई उनके साथ-साथ अंकित है.
इस मंदिर का निर्माण दुर्गा प्रसाद खत्री के मार्गदर्शन में 30 मजदूरों एवं 25 राजमिस्त्रीयों ने किया था और उनके नाम मंदिर के कोने में एक फलक पर लिखे गए हैं.
इस ‘भारत माता मंदिर‘ के रखरखाव का कार्य देखने वाले राजू सिंह ने बताया कि हर साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर इस नक्शे में दिखाए गए जलाशयों में पानी भरा जाता है और मैदानी इलाकों को फूलों से सजाया जाता है.
एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ‘राष्ट्रकवि‘ मैथिली शरण गुप्त ने इस मंदिर के उद्घाटन पर एक कविता लिखी थी. इस रचना को भी मंदिर में एक बोर्ड पर लिखकर लगाया गया है.
सिंह ने बताया कि अविभाजित भारत के दुर्लभ नक्शों में से एक को खुद में सहेजे इस मंदिर के अंदर तुरन्त पुनरुद्धार कार्य शुरू करने की जरूरत है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी ‘स्मार्ट सिटी‘ परियोजना के लिए चुना गया है और इस मंदिर के आसपास के सौंदर्यीकरण के लिए भी धन आवंटित किया गया है.
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