प्रयागराज: संगम के शहर प्रयागराज में राम मंदिर निर्माण पर होने वाली धर्म संसद के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने साधू- संतों और दूसरे धर्माचार्यों के साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी न्यौता भेजा है. वीएचपी की दलील है कि धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण को लेकर साधू -संत जो मांग उठाएंगे, उस पर भागवत और शाह कोई ठोस एलान कर सकते हैं, इसलिए उन्हें भी बुलाया जा रहा है. हालांकि वीएचपी द्वारा धर्म संसद में भागवत और शाह को बुलाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है. कई संतों ने धर्म संसद में सियासी लोगों को बुलाने पर सवाल खड़े किये हैं और वीएचपी पर बीजेपी व केंद्र सरकार के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया है.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर वीएचपी ने प्रयागराज के कुंभ मेले में इकतीस जनवरी और एक फरवरी को दो दिनों की धर्म संसद बुलाई है. यह धर्म संसद इस बार किसी संत के कैम्प में न होकर वीएचपी के पंडाल में ही होगी. आम तौर पर वीएचपी की धर्म संसद में उसके मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों के साथ ही मेले में प्रमुख धर्माचार्यों को ही बुलाया जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रही इस बार की धर्म संसद में कई दूसरी हस्तियों को भी शामिल होने का न्यौता भेजा गया है.
धर्माचार्यों के अलावा जिन और लोगों को न्यौता भेजा गया है उनमे बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा, आर्ट आफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर और गायत्री परिवार के संचालक डा० प्रणव पांड्या के साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं. इस बारे में वीएचपी नेताओं का कहना है कि संघ और बीजेपी दोनों ही वीएचपी के विचारों से मेल खाने वाले संगठन हैं, इसलिए इनके प्रमुखों को न्यौता भेजा गया है.
वीएचपी के प्रांत प्रमुख और कुंभ मेला प्रभारी मुकेश के मुताबिक़ धर्म संसद में संतों की तरफ से राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया जाना तय है, ऐसे में मोहन भागवत व अमित शाह संतों के बीच मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए कोई ठोस एलान कर सकते हैं.
वीएचपी द्वारा धर्म संसद में मोहन भागवत और अमित शाह को बुलाए जाने पर कुंभ मेले में मौजूद तमाम साधू संतों ने नाराज़गी जताई है. संतों का कहना है कि धर्म संसद में सिर्फ धार्मिक लोगों को ही बुलाया जाना चाहिए. कई संतों ने तो वीएचपी पर धर्म संसद के बहाने सीधे तौर पर बीजेपी को सियासी फायदा पहुंचने का आरोप लगाया है.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि वीएचपी हिन्दुओं की फर्जी ठेकेदार है और हिन्दुओं को गुमराह करने का काम करती है. धर्माचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ के मुताबिक़ धर्म संसद में सियासी लोगों के आने से धार्मिक चर्चा भी भटक जाती है, क्योंकि सियासी लोग हर कदम और वायदा नफे - नुकसान के मद्देनजर उठाते हैं.
अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में तीस जनवरी को सुनवाई होनी है. इस सुनवाई के अगले दिन ही वीएचपी की धर्म संसद होनी है. वीएचपी की कोशिश है कि धर्म संसद का उदघाटन संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में कराया जाए, जबकि समापन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरक्षा पीठाधीश्वर के नाते वीएचपी की इस धर्म संसद में शामिल होंगे. वीएचपी की कोशिश है कि भागवत - अमित शाह और योगी को सामने लाकर मंदिर मुद्दे पर साधू संतों की नाराज़गी दूर की जा सके.