प्रयागराज: लोकसभा चुनावों से पहले विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या के राम मंदिर मामले को फिर से गरमाने का फैसला किया है. वीएचपी ने इसके लिए प्रयागराज में लगने जा रहे कुंभ मेले में दो दिनों की धर्म संसद बुलाने का एलान किया है. इकतीस जनवरी और एक फरवरी को होने वाली इस धर्म संसद में साधू-संतों से प्रस्ताव पास कराकर मोदी सरकार पर राम मंदिर के लिए संसद में क़ानून बनाने या फिर अध्यादेश लाए जाने का दबाव बनाया जाएगा.
वीएचपी ने अपनी इस धर्म संसद की तैयारियां ज़ोर-शोर से शुरू कर दी हैं. धर्म संसद में देश के सभी प्रमुख सनातनी धर्माचार्यों को बुलाने की कोशिश की जा रही है. यह धर्म संसद सुप्रीम कोर्ट में तीस जनवरी को होने वाली सुनवाई के अगले दिन से शुरू होगी.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाली इस धर्म संसद में वैसे तो राम मंदिर समेत कई दूसरे धार्मिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, लेकिन सबसे ज़्यादा फोकस राम मंदिर निर्माण पर होगा. धर्म संसद में प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद में क़ानून बनाने या अध्यादेश लाए जाने की मांग की जाएगी. इसके अलावा हिंदुत्व के नारे के जरिये जातियों में बंटे हिन्दू समाज को एकजुट करने की कोशिशों पर भी फोकस होगा. यह पहला मौका होगा, जब धर्म संसद में विशेष समुदाय से ताल्लुक रखने के बाद भगवा चोला पहनने वाले संतों को ख़ास वरीयता दी जाएगी. दरअसल वीएचपी इस धर्म संसद के ज़रिये हिंदुत्व का नारा देकर सपा-बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का जातीय समीकरण बिगाड़कर मिशन 2019 के लिए बीजेपी की राह आसान करने की कोशिश करेगी. राम मंदिर और हिंदुत्व के साथ ही गौ रक्षा, गंगा, धर्मान्तरण व घुसपैठ जैसे मुद्दों पर भी इस धर्म संसद में चर्चा कराई जाएगी.
इकतीस जनवरी और एक फरवरी को संगम किनारे वीएचपी के कैम्प में होने वाली इस बार की धर्म संसद में वंचित समुदाय से ताल्लुक रखने के बाद गृहस्थ जीवन छोड़ने वाले संतों को ख़ास प्रमुखता दी जाएगी. जातीय बंधन तोड़कर हिंदुत्व के सूत्र में बंधने के लिए इस बार की धर्म संसद में कई कथावाचकों को भी बुलाने की तैयारी है. वीएचपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अम्बरीश जी का कहना है कि इस बार की धर्म संसद कई मायनों में बेहद ख़ास होगी. इसमें किसी राजनीतिक दल के नेता को नहीं बुलाया जाएगा. हालांकि अगर कोई नेता इन मुद्दों पर अपनी सहमति जताने के लिए आना चाहता है तो उसे रोका भी नहीं जाएगा.