लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं. लोग उनके भाषणों को पसंद करते हैं. उम्मीदवार भी चाहते हैं कि अगर पीएम मोदी किसी कारण से उनके क्षेत्र में नहीं आ पाएं तो योगी आ जाएं. हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को घोषित हुए तो इस पर मुहर भी लग गई. बेशक बीजेपी इन राज्यों में हार गई हो लेकिन योगी का जादू बरकरार है.


भगवान बजरंगबली पर दिए अपने एक बयान के कारण वो विपक्षी नेताओं के भी निशाने पर आ गए थे. तेलंगाना में तो ओवैसी और योगी के बीच जो जुबानी जंग हुई वो भी मीडिया में छाई रही. लेकिन अब जब नतीजे आ गए हैं तो पता चला है कि जिन 74 सीटों पर उन्होंने प्रचार किया था उनमें से 51 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज कराई है.


योगी आदित्यनाथ ने एमपी में 17 सीटों पर पार्टी के पक्ष में प्रचार किया था और सभी 17 सीटों पर जीत मिली. छत्तीसगढ़ में उन्होंने 23 सीटों पर प्रचार किया था जिनमें से पार्टी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की. राजस्थान में उन्होंने 26 सीटों पर प्रचार किया था जिनमें से 25 सीटों पर जीत मिली. तेलंगाना में उन्होंने 8 चुनावी जनसभाएं कीं हालांकि बीजेपी एक सीट पर ही जीत पाई.


गुजरात, कर्नाटक और त्रिपुरा में भी चला था जादू


इससे पहले कर्नाटक चुनावों में भी उनके भाषणों को लोगों ने काफी पसंद किया था. जितनी जगहों पर उन्होंने बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया था, उनमें से अधिकतर जगहों पर बीजेपी ने जीत दर्ज कराई थी. योगी ने गुजरात और त्रिपुरा में भी प्रचार किया था और इसे खासा सफल भी माना गया था.


'हिन्दू हृदय सम्राट'


यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूलवर्षा कराई, दीपावली पर अयोध्या में लाखों दीपक जलवाए, मुगलसराय रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद, फैजाबाद का नाम बदल दिया गया. इसी के बाद से योगी आदित्यनाथ को नया 'हिन्दू हृदय सम्राट' कहा जा रहा है.


अब 2019 की जिम्मेदारी


गोरखपुर, कैराना, फूलपुर और नूरपुर में बीजेपी हार गई थी. योगी के मंत्री और विधायक लगातार कहते हैं कि पुलिस, प्रशासन के लोग बात नहीं सुनते. यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. अगले साल लोकसभा चुनाव होना है और यूपी इसमें बड़ी भूमिका निभाने वाला है. पिछली बार बीजेपी ने यूपी में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था और 73 सीटों को अपनी झोली में डाल लिया था. इस बार भी बीजेपी का टारगेट बड़ा है लेकिन अयोध्या विवाद से लेकर कानून व्यवस्था तक के विवाद सीएम योगी का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं.